देवेंद्र फडणवीस जब तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे अपनी सरकार को पारदर्शी और भ्रष्टाचार से मुक्त बताते रहे, लेकिन अब वह नेता प्रतिपक्ष हैं और विधानसभा सत्र में महालेखा परीक्षक यानी कैग की जो रिपोर्ट पेश हुई है वह कुछ और ही तसवीर बयाँ करती है। कैग की यह रिपोर्ट फडणवीस सरकार के कार्यकाल के दौरान विभिन्न परियोजनाओं के लिए दिए गए टेंडरों में भारी अनियमितता और क़ायदे -क़ानून के साथ खिलवाड़ करने की तरफ़ इशारा करती है।
साल 2011 में तत्कालीन कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में टेंडरों को लेकर कुछ आरोप लगे थे। तब फडणवीस विपक्ष में थे और उन्होंने उस रिपोर्ट को लेकर विधानसभा में ख़ूब हंगामा किया था। लेकिन आज इस रिपोर्ट पर वह पल्ला झाड़ रहे हैं।
फडणवीस कहते हैं कि ये टेंडर कांग्रेस -राष्ट्रवादी कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के हैं। इसके अलावा जो आरोप लगे हैं वे महाराष्ट्र सरकार की कंपनी सिडको को लेकर है जो कि एक स्वायत्त संस्था है। लेकिन हक़ीक़त ऐसी नहीं है जैसा कि फडणवीस बयाँ कर रहे हैं। सिडको (सिटी एन्ड इंडस्ट्रीयल डवलपमेंट कॉर्पोरेशन) महाराष्ट्र सरकार की कंपनी है और फडणवीस शहरी विकास के जिस महकमे को अपने पास रखे हुए थे, यह उनके अधीन ही थी।
इस कंपनी में अध्यक्ष और निदेशक के पद राजनीति से जुड़े लोगों को दिए जाते हैं या यूँ कह लें कि राजनीतिक पार्टियाँ अपने कार्यकर्ताओं को यह पद देती हैं, जिसका दर्जा राज्यमंत्री के बराबर होता है। सार्वजनिक उपक्रमों पर कैग की रिपोर्ट में सिडको के तहत भाजपा शासन के दौरान हुए 2,000 करोड़ रुपये के विकास कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितता होने के आरोप लगाए गए हैं।
उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने बुधवार को कैग की दो रिपोर्ट विधानसभा में पेश कीं। जो आरोप हैं वे नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट और नेरुल-उरण रेलवे परियोजना से जुड़े हैं। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ये दोनों परियोजनाएँ 50 करोड़ रुपये से ज़्यादा की लागत की हैं। इसके बावजूद इन दोनों परियोजनाओं के क़रीब 16 टेंडर राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित ही नहीं किए गए। इतना ही नहीं, 890 करोड़ रुपये के काम अनुभवहीन ठेकेदार कंपनियों को दिए गए। कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि क़रीब 430 करोड़ रुपये लागत वाले 10 विकास कार्यों में कई दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया है।
कैग रिपोर्ट के मुताबिक़, नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट और नेरुल-उरण रेलवे परियोजना से जुड़े 70 करोड़ रुपये के काम बिना टेंडर मँगाए ही दे दिए गए। दोनों परियोजनाओं के तकनीकी मूल्यांकन में भी काफ़ी गड़बड़ियाँ पाई गई हैं। कैग रिपोर्ट के मुताबिक़, नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पैकेज 3 और पैकेज 4 के लिए सिर्फ़ दो ही कंपनियों ने टेंडर भरे और दोनों को एक-एक पैकेज का काम दे दिया गया।
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