वुहान से मुंबई? कोरोना वायरस से लड़ने के लिए क्या देश की आर्थिक राजधानी मुंबई वाक़ई में तैयार है? क्या मुंबई में भी चीन के वुहान शहर की तरह शटडाउन का फ़ॉर्मूला इस्तेमाल करने की नौबत आएगी? क्योंकि संक्रमित लोगों के बढ़ते आँकड़े ने एक डर का माहौल पैदा कर दिया है। देश भर में सबसे ज़्यादा पॉजिटिव मामले महाराष्ट्र में ही आए हैं और स्थिति गंभीर होती जा रही है। अब खाड़ी देशों से 26 हज़ार भारतीय लौटने वाले हैं। इससे चिंता तो बढ़ेगी ही। क्या इसके लिए महाराष्ट्र तैयार है?
इन्हीं वजहों से सरकार चीन के फ़ॉर्मूले की तरफ़ बढ़ती दिख भी रही है। सरकार शहर को आधा बंद करने की दिशा में बढ़ रही है ताकि शहर की सड़कों पर कम से कम लोग उतरें और स्थिति नियंत्रण में रखी जा सके। चिंता और डर का कारण यह भी है कि कोरोना के सबसे ज़्यादा मामले महाराष्ट्र में निकलकर सामने आ रहे हैं। अब तक प्रदेश में पिंपरी चिंचवड में 11, पुणे में 8, मुंबई में 8, नागपुर में 4, यवतमाल, नवी मुंबई, कल्याण- प्रत्येक में 3 -3, रायगढ़, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद और रत्नागिरी- प्रत्येक जगह 1-1 कुल 45 मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन क्या उद्धव ठाकरे सरकार इस वायरस के ख़िलाफ़ 'युद्ध' लड़ने के लिए वाक़ई गंभीरता से प्रयास कर रही है?
अब सरकार ज़रूरत या रोज़मर्रा की चीजों को बेचने वाली दुकानों के अलावा शेष दुकानों को बंद कराने तथा उन्हें निर्धारित समय के दौरान ही खोले रखने के निर्देश देने वाली है ताकि बाज़ारों में भी भीड़-भाड़ न रहे। तीन तीन पहले मुख्यमंत्री ने कॉर्पोरेट क्षेत्र के उद्योगपतियों की बैठक कर उनसे सुझाव माँगे थे और उनके कर्मचारियों को घर से काम करने की अपील की थी। और अधिकाँश लोगों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के निर्देश भी जारी किये हैं। लेकिन मुंबई में सबसे बड़ी जो चुनौती सरकार के सामने है वह है महानगर की भीड़।
शहर की लाइफ़ लाइन कही जानेवाली उपनगरीय रेल और बस सेवा (बेस्ट) में यात्रियों की भीड़ को कैसे नियंत्रित किया जाएगा? शहर के बहुत से ऐसे बाज़ार हैं जहाँ पर दिन भर भीड़-भाड़ रहती है जो इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए बड़ी चुनौती है।
इन तैयारियों को लेकर मीडिया द्वारा बार-बार यह सवाल पिछले एक सप्ताह से पूछा जा रहा है कि सरकार की उप नगरीय रेल सेवा को लेकर क्या करने वाली है? इसका अब तक यही जवाब दिया जा रहा है कि हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे अनावश्यक घरों से नहीं निकलें ताकि भीड़-भाड़ कम हो सके। इसका असर दिखाई भी दे रहा है। उपनगरीय रेलों में यात्रियों की संख्या आम दिनों के मुक़ाबले क़रीब 30 से 40% ही रह गयी है लेकिन वह भी ज़्यादा है, क्योंकि सामान्य दिनों में इनमें यात्रियों की संख्या क्षमता से कई गुना ज़्यादा हुआ करती थी। भीड़ को कम करने के अलावा सरकार ने संक्रमित लोगों के लिए सरकारी के साथ-साथ सभी निजी चिकित्सालयों को भी सचेत कर रखा है तथा वहाँ मरीजों को रखने की व्यवस्था भी की गयी है।
26 हज़ार भारतीयों के लिए तैयारी कैसी?
इस बीच मुंबई नगरपालिका उन 26 हज़ार लोगों के ठहरने का इंतज़ाम करने में जुटी है जो आज से 31 मार्च तक संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कुवैत और ओमान जैसे खाड़ी देशों से वतन वापस आने वाले हैं।
14 दिनों का अनिवार्य आइसोलेशन
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के मुताबिक़, इन देशों से हर दिन 23 फ्लाइट मुंबई पहुँचती है। केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार, यूएई, कुवैत, कतर और ओमान से आने वाले सभी यात्रियों को 14 दिनों तक क्वारेंटाइन में रखना अनिवार्य है। यह आदेश 18 मार्च से लागू हुआ है। चूँकि दुबई से आने वाले महाराष्ट्र के 15 लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है, इसलिए बीएमसी ने अपने इंजीनियरों के लिए पोवई में एक नवनिर्मित ट्रेनिंग सेंटर को क्वारेंटाइन सेंटर में तब्दील कर दिया है। इसके अलावा, मरोल में सेवन हिल्स हॉस्पिटल में आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था है। पवई वाले क्वारेंटाइन सेंटर में कई कॉन्फ़्रेंस रूम हैं जहाँ कुछ सौ बेड लगाए जा चुके हैं और काफ़ी जगह बची हुई है।
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