तलोजा जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नया चश्मा नहीं मिलने के मामले में मुंबई हाई कोर्ट को जेल अधिकारियों को मानवता की याद दिलाना पड़ा है। कोर्ट ने कहा कि सबसे ज़रूरी मानवता है। जेल अधिकारियों के रवैये पर कोर्ट ने तो यहाँ तक कह दिया कि उनको कैदियों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए कार्यशाला किए जाने की ज़रूरत है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा- नवलखा को चश्मा नहीं देना 'अमानवीयता'
- महाराष्ट्र
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- 9 Dec, 2020
तलोजा जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नया चश्मा नहीं मिलने के मामले में मुंबई हाई कोर्ट को जेल अधिकारियों को मानवता की याद दिलाना पड़ा है। कोर्ट ने कहा कि सबसे ज़रूरी मानवता है।

हाई कोर्ट की इस टिप्पणी से सवाल उठता है कि जेल अधिकारी बुजुर्ग लोगों को भी ज़रूरत की जीचें देने में आनाकानी क्यों करते हैं? क्या वे इतने संवेदनहीन हो गए हैं या फिर किसी दबाव में वे ऐसा बर्ताव कर रहे हैं। नवलखा का चश्मा चोरी होने के बाद जब पार्सल से उन्हें नया चश्मा भेजा गया तो जेल अधिकारियों ने चश्मा स्वीकार नहीं किया। ऐसा ही सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी के मामले में भी रवैया दिखाया गया था। स्ट्रा और सिपर कप तक उनको नहीं दिया जा रहा था। क्या यह अमानवीयता नहीं है? ऐसे उठते सवाल पर शायद हाई कोर्ट की यह टिप्पणी जवाब है।