बॉम्बे हाई कोर्ट ने गौतम नवलखा को जमानत दे दी। हालाँकि इसके साथ ही इसने अपने फ़ैसले पर तीन हफ्ते की रोक भी लगा दी। यह रोक जाँच एजेंसी एनआईए को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए दी गई है। 2018 के एल्गार परिषद मामले में एक्टिविस्ट फिलहाल नज़रबंद हैं। नवलखा ने एक विशेष एनआईए अदालत के आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। एनआईए अदालत ने इस साल अप्रैल में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
पिछले साल नवंबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नवलखा को नवी मुंबई में उनके घर में नज़रबंद किया गया। उनको 14 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। तब से वह जेल में ही हैं। अब हाई कोर्ट द्वारा नवलखा को दी गई जमानत की शर्तें सह-अभियुक्त प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे और महेश राउत के समान होंगी।
नवलखा के साथ ही आनंद तेलतुंबडे और महेश राउत को भी एल्गार परिषद के मामले में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार, एल्गार परिषद सम्मेलन के कारण अगले दिन भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी।
इस साल अप्रैल में एक विशेष अदालत ने यह कहते हुए नवलखा को जमानत देने से इनकार कर दिया था कि प्रथम दृष्टया यह दिखाने के सबूत हैं कि एक्टिविस्ट प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) का सक्रिय सदस्य थे। एनआईए का आरोप है कि एल्गार परिषद कार्यक्रम भारत सरकार के खिलाफ एक बड़ी माओवादी साजिश का हिस्सा था।
उनकी पिछली जमानत याचिका का विरोध करते हुए एनआईए ने दावा किया था कि नवलखा को संभावित भर्ती के लिए पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस यानी आईएसआई जनरल से मिलवाया गया था, जो संगठन के साथ उनके संबंध का संकेत देता है।
गिरफ्तार किए गए 16 कार्यकर्ताओं में से नवलखा जमानत पाने वाले सातवें आरोपी हैं। प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे, कवि वरवरा राव, वकील सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंसाल्वेस, अरुण फरेरा और महेश राउत नियमित जमानत पर बाहर हैं। वरवरा राव फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से जमानत पर बाहर हैं।
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