शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शनिवार को घोषणा की कि 22 जनवरी को, जब अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा, तो वह नासिक में गोदावरी नदी तट पर महा आरती करेंगे और पंचवटी में कालाराम मंदिर जाएंगे। पौराणिक कथाओं के मुताबिक यहां पर भगवान राम का निवास बताया गया है और अपने निर्वासन के दौरान यहां रुके थे।
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उद्धव की शनिवार 6 जनवरी की घोषणा भी एक तरह की राजनीति है। उन्होंने 22 जनवरी को जिस कालाराम मंदिर में जाने को फैसला किया है, वहां दलितों के जाने पर लंबे समय तक रोक रही है। 1930 में बाबा साहब आंबेडकर और साने गुरुजी को दलितों को इस मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए सत्याग्रह किया था। इस सत्याग्रह का महाराष्ट्र के दलितों में बहुत महत्व है और उस दिन वो कार्यक्रम भी करते हैं।
राम मंदिर उद्घाटन समारोह में उद्धव को नहीं बुलाया गया है। इस मुद्दे पर शिवसेना (यूबीटी) और भाजपा नेताओं के बीच बयानबाजी भी जारी है। इसी बीच महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और प्रमुख नेता देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को अपनी रथयात्रा से पहले हवन किया और वो 22 जनवरी तक राज्य में रथ यात्रा लेकर निकल रहे हैं।
उद्धव ने कहा कि 22 जनवरी एक शुभ दिन है क्योंकि लगभग 30 साल के संघर्ष के बाद अयोध्या में राम मंदिर का अभिषेक हो रहा है। उन्होंने कहा कि वह कालाराम मंदिर जाएंगे जहां डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और साने गुरुजी ने 1930 में दलितों को मंदिरों तक पहुंच दिलाने के लिए सत्याग्रह किया था।
उद्धव ने मुंबई के शिवाजी पार्क इलाके में अपनी मां मीना ठाकरे को श्रद्धांजलि देने के बाद शनिवार को कहा- “यह खुशी का क्षण है क्योंकि 25-30 वर्षों के संघर्ष के बाद 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का अभिषेक किया जा रहा है… इसलिए, उसी दिन, हम नासिक के कालाराम मंदिर में भगवान राम के दर्शन करेंगे। यह वही मंदिर है जिसके लिए डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और साने गुरुजी को मंदिर में प्रवेश (दलितों के लिए) की अनुमति देने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। राम सबके हैं। भाजपा यह याद रखे।”
उन्होंने कहा, ''मैं इस बात में नहीं पड़ना चाहता कि किसे आमंत्रित किया गया है और किसे नहीं, या राम मंदिर निर्माण के लिए कौन जा रहा है या नहीं जा रहा है क्योंकि यह हमारे लिए गर्व और आस्था का विषय है। हम राम मंदिर को लेकर खुश हैं लेकिन मैं कई दिनों से अनुरोध कर रहा हूं कि यह आस्था का विषय बना रहना चाहिए और राजनीतिक रंग नहीं लेना चाहिए। हम जब चाहेंगे तब अयोध्या जाएंगे।”
महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि उद्धव का यह बड़ा कदम है। यह एक संदेश देने का प्रयास प्रतीत होता है कि भगवान राम सभी के लिए हैं और किसी विशेष पार्टी, व्यक्ति और समुदाय की संपत्ति नहीं हैं। यह अभी महत्वपूर्ण है क्योंकि सबसे पहले उन्हें समारोह के लिए वीवीआईपी निमंत्रण नहीं मिला है और विपक्ष द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है कि भाजपा चुनावी लाभ के लिए इस कार्यक्रम का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है। एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा, ''उद्धव का कदम उस कहानी का मुकाबला करने के लिए है जिसे भाजपा स्थापित करने की कोशिश कर रही है।''
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