जिस बीजेपी को चुनावी रणनीति में अग्रणी माना जाता है उसका क्या गठबंधन सहयोगियों के साथ अभी सीट बँटवारा भी नहीं हो पाया है? आख़िर लोकसभा चुनाव के लिए जारी बीजेपी की पहली सूची में बिहार के साथ ही महाराष्ट्र के लिए एक भी उम्मीदवार का नाम क्यों नहीं है? इन दोनों ही राज्यों में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीट बँटवारे को लेकर मनमुटाव की रिपोर्टें हैं। हालाँकि, इस बार में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन अब इसी बीच अमित शाह के मंगलवार को मुंबई के दौरे से एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं होने की अटकलें तेज हो गई हैं।
माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में सीट बँटवारे को लेकर काफी जद्दोजहद है। ऐसा इसलिए भी कि अब राज्य में तीन दलों का गठबंधन है और हर दल सीट के लिए अपनी दावेदारी बढ़ाना चाहता है। समझा जा रहा है कि कई सीटों को लेकर एनडीए गठबंधन के सहयोगियों में मतभेद हैं और इसी वजह से सीटों का बँटवारा तय नहीं हो पाया है।
रिपोर्ट है कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एनडीए सहयोगियों के बीच सीटों के बँटवारे के अलावा भाजपा के भीतर आंतरिक मतभेद भी हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इन मुद्दों को सुलझाने के लिए मंगलवार को राज्य में पहुंचेंगे।
बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि अमित शाह की यात्रा राज्य में पार्टी के लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत करने के लिए है, लेकिन द इंडियन एक्सप्रेस ने अंदरूनी सूत्रों के हवाले से कहा है कि इसका उद्देश्य सत्तारूढ़ गठबंधन के मतभेदों को दूर करना है। पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि महाराष्ट्र में गठबंधन सहयोगियों के साथ कुछ सीटों पर मुद्दे हैं, जिन्हें उम्मीदवारों की घोषणा से पहले निपटाने की जरूरत है। रिपोर्ट के अनुसार उस नेता ने कहा कि अमित शाह के दौरे से समस्याएँ ख़त्म हो जाएंगी।
किन सीटों पर दिक्कतें?
अमरावती सीट फिलहाल निर्दलीय सांसद नवनीत राणा के पास है। समझा जाता है कि इस सीट पर बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) के बीच विवाद होता दिख रहा है। हालाँकि राणा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए सहमत हो गई हैं, लेकिन शिंदे सेना बुलढाणा सीट के साथ-साथ इस सीट पर भी चुनाव लड़ने की इच्छुक है। अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार चंद्रपुर में बीजेपी को उम्मीदवार चयन में दिक्कतें हैं। भाजपा राज्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को मैदान में उतारने की योजना बना रही है, जो कोमटी (ओबीसी) समुदाय से हैं, लेकिन पार्टी नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि प्रमुख कुनबी समुदाय से उम्मीदवार होने से जीत की संभावना बढ़ेगी।
रिपोर्ट के अनुसार मराठवाड़ा में संभाजीनगर भाजपा और शिंदे सेना के बीच टकराव का एक बिंदु साबित हो रहा है। दोनों दलों की नजर इस सीट पर है। 2019 में यह सीट एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील ने जीती थी। उन्होंने वरिष्ठ शिवसेना नेता चंद्रकांत खैरे को हराया था, जो पार्टी में विभाजन के बाद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ चले गए थे। सूत्रों ने कहा कि शिंदे शिवसेना इस सीट पर चुनाव लड़ने पर अड़ी हुई है जबकि भाजपा को लगता है कि यहां उसकी जीत की बेहतर संभावनाएं हैं।
कोंकण क्षेत्र में भाजपा और शिंदे सेना सिंधुदुर्ग-रत्नागिरी सीट के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने इस पर दावा ठोका है। पश्चिमी महाराष्ट्र में भी बीजेपी और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के बीच शिरूर निर्वाचन क्षेत्र को लेकर मतभेद दिख रहे हैं।
सीट बँटवारे को लेकर खींचतान की ख़बरें सामने आने पर डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि महायुति की किसी भी पार्टी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'सीटों का बंटवारा जमीनी हकीकत और उम्मीदवारों की जीत की क्षमता को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि गठबंधन के तीन सहयोगियों में से किसी पर भी प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।'
अपनी राय बतायें