विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड की आज 38वीं बरसी है। मिथाइल आइसो साइनाइड (एमआईसी) के संपर्क में आकर हजारों लोगों ने 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात को दम तोड़ दिया था। जहरीली गैस के संपर्क में आने वाले लाखों लोग ऐसे बीमार पड़े थे कि आज तक उबर नहीं पाये हैं। गैस पीड़ितों के तिल-तिल कर दम तोड़ने की कहानियां आज भी आये दिन सामने आती हैं। आज तो चौथी पीढ़ी भी हत्यारी गैस के उस दंश को झेलने और भोगने को मजबूर है।
भोपाल गैस कांड: ‘संजीवनी’ भी साबित हुई थी रिसी हुई गैस एमआईसी
- मध्य प्रदेश
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- 3 Dec, 2022

बीसवीं सदी की इस सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी के पीड़ितों को अब तक इंसाफ नहीं मिला है। लोग उचित मुआवजे के लिए आज भी संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन गंभीर रूप से बीमार श्याम स्वरूप ब्यौहार इस गैस कांड के बाद ठीक हो गए थे। पढ़िए, उनके बारे में।
हादसे के वक्त पुराने भोपाल के जेपी नगर क्षेत्र में संचालित की जाने वाली यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का स्ट्रक्चर आज भी मौके पर खड़ा हुआ है। बहुत बड़ी तादाद में जहरीली गैस से जुड़ा केमिकल वेस्ट इस फैक्ट्री के ‘सीने’ के नीचे दफन है।
38 साल बाद भी वेस्ट को पूरी तरह से हटाया नहीं जा सका है। केमिकल वेस्ट की वजह से पूरे क्षेत्र के जलस्रोत अपमिश्रित हैं।