देशभक्ति-जनसेवा की हुंकार भरने वाली भोपाल पुलिस समय रहते सुन लेती और एक्शन ले लेती तो संभवतः एक ही परिवार के पांच लोगों को सामूहिक तौर पर ज़हर नहीं पीना पड़ता! तीन लोगों की जान नहीं जाती।
यह हम नहीं कह रहे, जहर पीने के बाद जिंदा बच गईं भोपाल निवासी संजीव जोशी की पत्नी अर्चना का कबूलनामा है।
सूदखोरों ने किया परेशान
मौत से संघर्ष करते हुए अर्चना ने अस्पताल में कर्मचारियों के सामने इस बात का खुलासा किया है। अर्चना के अनुसार सूदखोरों के आतंक और धमकियों की वजह से परिवार ने यह कदम उठाया।
अर्चना ने पुलिस से कहा है, ‘जो सुसाइड नोट उसने और उनके परिजनों ने लिखा है, उसी को उनका मृत्यु से पहले का बयान माना जाये।’ अर्चना के पति संजीव भी सुसाइड नोट पर अडिग हैं। सामूहिक तौर पर ज़हर खाने की वजह वह भी वही बता रहे हैं जो अर्चना ने बताई है।
बता दें, गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात भोपाल निवासी संजीव और उसके पूरे परिवार ने कोल्ड ड्रिंक में चूहामार दवा मिलाकर पी ली थी। संजीव ऑटो पार्टस की दुकान पर काम करते हैं।
दवा पीने के पहले परिवार ने जहर को अपने पालूत कुत्ते पर आजमाया था। कुत्ते की मौत के बाद पूरे परिवार ने सूदखोरों के चंगुल में फंसे होने की दास्तान अपने घर की दीवारों पर विस्तार से लिखने के बाद वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपने परिचितों को भेजा था।
वीडियो में बताया था कि पूरा परिवार एक साथ खुदकुशी कर रहा है।
आधी रात के बाद वीडियो डाला गया था। एक ऑडियो संदेश भी संजीव ने रिकॉर्ड करके सोशल मीडिया पर डाला था। इस संदेश में भोपालवासियों से माफी मांगते हुए, उसने सामूहिक आत्महत्या करने की बात कही थी।
दोस्तों ने संजीव और उसके परिजनों के इरादों वाले संदेशों की सूचना पुलिस को दी थी। पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले पूरा परिवार ज़हर पी चुका था। परिवार के दो सदस्यों संजीव की मां और छोटी बेटी की मौत अस्पताल में हो गई थी। जबकि संजीव, अर्चना और बड़ी बेटी जिंदगी और मौत से संघर्ष करते रहे थे।
संजीव और अर्चना की हालत में देर रात तक सुधार हो गया था। डॉक्टरों ने दोनों की हालत खतरे से बाहर बताई है। जबकि बड़ी बेटी की भी मौत हो गई है। राज्य सरकार ने दो लाख रुपये का सहायता चैक संजीव जोशी को दिया है।
सुसाइड नोट छोड़ा था
उधर, सुसाइड का कदम उठाने के पहले अर्चना ने 13 पेजों का नोट लिखकर छोड़ा था। कई लोगों का नाम दर्ज करते हुए सूदखोरी के लिए जमकर परेशान करने की बात इसमें कही गई। बताया गया कि कुछ लाख की उधारी के एवज में लोगों ने मोटा ब्याज और राशि ऐंठी। लेकिन इसके बाद भी उनका पीछा नहीं छोड़ा।
भोपाल से लेकर चेन्नई तक की संपत्ति से जुड़े दस्तावेज कब्जे में ले लिये। ब्लैंक चैक लिए गए। हर दिन उनके घर उधार की रकम के लिए तकाजा करने लोग आते थे। बेटियों को उठा ले जाने की धमकियां भी परिवार को लगातार दी जा रही थीं।
धमकाया, गालियां दी
सूद पर रकम देने वाली एक महिला और उसके गुर्गे गत दिवस भी उनके घर आए थे। जमकर गाली-गलौज की। पूरे मोहल्ले में हंगामा और परिवार को जमकर लज्जित किया गया। बेटियों को उठा ले जाने का अल्टीमेटम भी दिया गया।
सुसाइड नोट के अंत में लिखा है कि चूंकि कोई रास्ता नहीं बचा है, लिहाजा पूरा का पूरा परिवार मजबूरीवश एवं अपनी इज्जत की खातिर मौत को गले लगाने की राह पर चल पड़ा है।
पुलिस पर आरोप
अर्चना और परिजनों के सुसाइड नोट में इस बात का भी उल्लेख है कि कई बार पुलिस से शिकायत की गई। लेकन पुलिस ने परिवार का साथ नहीं दिया और सूदखोरों का पक्ष लेती नज़र आयी।
उधर, पुलिस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया कि परिवार की शिकायतों को उसने नजर अंदाज किया। क्या कार्रवाई की? इसका ठोस जवाब संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस नहीं दे पायी।
प्रदेश कार्यसमिति में व्यस्त थे नेता-अफसर
शुक्रवार को भोपाल में मध्य प्रदेश बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक थी। राज्य के मुख्यमंत्री के अलावा सत्तारुढ़ दल के सभी बड़े नेता और प्रशासन के आला अफसर इसमें व्यस्त रहे। किसी का भी ठोस बयान इस बड़े घटनाक्रम को लेकर सामने नहीं आया।
चार लोगों पर हुई एफ़आईआर
भोपाल की पिपलानी पुलिस ने सामूहिक आत्महत्या से जुड़े इस मामले में चार लोगों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 306 के तहत एफ़आईआर दर्ज की है। आत्महत्या के लिए उकसाने को लेकर रानी, बबली, कमला और उर्मिला के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है।सूदखोरी कानून ‘कठघरे’ में!
मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने लोगों को सूदखोरी से बचाने के लिए कानून बनाया हुआ है। मुख्यमंत्री चौहान हर अवसर पर इस कानून की दुहाई देते हैं। कानून होते हुए भी संजीव जोशी के परिवार ने ख़ुदकुशी का क़दम क्यों उठाया, इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं।
इस कांड के बाद लोग सवाल उठा रहे हैं कि सख्त कानून है तो पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं करती? क्यों लोगों को मरने और आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर होने दिया जाता है।
यह भी कहा जा रहा है, ‘जोशी परिवार के मामले में दोषी थाने और अन्य संबंधित उन अफसरों पर सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जिनके समक्ष यह परिवार गुहार लगाने पहुंचा था। शिकायतों के बावजूद पुलिस ने समय रहते कार्रवाई नहीं की और प्रदेश के माथे पर कालिख़ पोतने वाला कांड चस्पा हो गया।’
अपनी राय बतायें