देश भर में नवरात्र की धूम है। मध्य प्रदेश भी इस रंग में सराबोर है। कोविड की वजह से बीते दो साल भक्त सहमे रहे। इस बार देवी आराधना के साथ पूरे राज्य में गरबा के पंडाल सजे हुए हैं। पंडालों में मुस्लिमों को प्रवेश नहीं देने का ‘सरकार’ का ‘एलान’ हिन्दू धर्मावलंबियों के लिये ‘परेशानी’ का सबब बन गया है।
भोपाल के एक बड़े गरबा आयोजन में शामिल होने पहुँचे कक्षा 12वीं के छात्र अंश दुबे ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘वह पूर्व में भी गरबा उत्सव में शामिल हुआ, लेकिन इस बार ऐसा लगा मानो गरबा उत्सव नहीं, पीएम की सभा में आया है। आयोजकों ने उसकी और साथियों की जमकर तलाशी ली। क्लासमेट फिमेल मित्रों को भी सुरक्षा व्यवस्था से गुजरना पड़ा।’ ऐसे दृश्य भोपाल भर में ही नहीं, राज्य की व्यावसायिक राजधानी इंदौर, ‘संस्कारधानी’ जबलपुर, ग्वालियर और अन्य शहरों में भी देखने को मिल रहे हैं। गरबा पंडालों में कई लेबल पर तलाशियाँ हो रही हैं। आईकार्ड के अलावा कई शहरों में आयोजक गरबा खेलने आने वालों की पूरी-पूरी ‘कुंडली’ खंगाल रहे हैं।
बता दें कि मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने नवरात्र पर्व आरंभ होने के एक पखवाड़े पहले कहा था, ‘इस बार गरबा में गैर हिन्दुओं को एंट्री नहीं दी जायेगी। आइडेंटिटी कार्ड देखकर ही प्रवेश देंगे।’ ठाकुर ने यह भी कहा था, ‘गरबा लव जिहाद का ज़रिया बन चुके हैं। महिलाओं की सुरक्षा ज़रूरी है। गरबा नृत्य मां भगवती की उपासना का माध्यम है। इसमें किसी दूसरे धर्म के लोगों, जो हिन्दू बेटियों और महिलाओं के साथ अभ्रदता करें, को प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए।’
आदेश का उमा भारती ने भी समर्थन किया था। जबलपुर में उन्होंने कहा था कि जो लोग जय माता दी नहीं बोलते या जो माता के जयकारे नहीं लगाते, उन्हें गरबा में प्रवेश नहीं देना चाहिए। निर्देशों का पालन नहीं करने वाले आयोजकों पर सख्त कार्रवाई की बात भी मंत्री ठाकुर ने कही थीं।
हिन्दुओं को हो रही परेशानी की तरफ़ ध्यान दिलाये जाने पर मध्य प्रदेश संस्कृति बचाओ मंच के संयोजक चंद्रशेखर तिवारी ने कहा, ‘सख्ती हिन्दू बहन-बेटियों और माताओं की सुरक्षा के लिये की जा रही है। गरबा की आड़ में लव जिहाद करने वालों से बचाने के लिए जाँच-पड़ताल में हमारे समुदाय के लोगों को भी थोड़ी-बहुत परेशानी झेलने की आदत डालना होगी। अन्यथा सख्ती का कोई मतलब नहीं रह जायेगा।’
बता दें कि ऊषा ठाकुर के बयान पर भोपाल के शहर काजी आपत्ति जता चुके हैं। उन्होंने कहा था, ‘भारत सर्वधर्म समभाव के लिये जाना जाता है। तीज-त्यौहारों पर परिचय पत्र देखकर प्रवेश का फरमान क़तई उचित नहीं है। संदिग्धों पर कार्रवाई में उन्हें कोई हर्ज नहीं, लेकिन सबकी चेकिंग गंगा-जमुनी तहज़ीब को चोट पहुंचायेगी। वैमनस्यता बढ़ेगी।’
महाकाल की नगरी उज्जैन के एक गरबा पंडाल में परिचय पत्र देखने के साथ-साथ तिलक लगाकर एंट्री दी जा रही है। यहाँ एंट्री गेट के बाहर पोस्टर लगे हैं, ‘गैर हिंदू पंडाल में प्रवेश नहीं करें।’ आधार कार्ड या दूसरे पहचान पत्र चेक करने के बाद ही एंट्री दी जा रही है।
भोपाल से लगे नर्मदापुरम (होशंगाबाद) में एक समिति ने जींस-टी शर्ट वालों को प्रवेश नहीं देने का ‘नियम’ बना रखा है। अकेले पुरुष की एंट्री भी इस आयोजन में ‘बैन’ है। पहचान पत्र दिखाना आवश्यक है। महिलाओं के लिये साड़ी और सलवार-सूट तथा पुरुषों के लिए पायजामा-कुर्ता ड्रेस कोड है।
इंदौर में अब तक आठ मुसलिम पकड़े गये
इंदौर में अब तक अलग-अलग गरबा आयोजन स्थलों से आठ ऐसे मुसलिम युवकों को आयोजकों ने पकड़कर पुलिस के हवाले किया है जो आयोजकों को ‘गच्चा’ देकर गरबा स्थल में प्रवेश कर गये थे। कुछ जगहों पर हुज्जत और मारपीट की घटनाएं भी हुई हैं। ‘बलात’ घुसने के आरोप वाले मुसलिम युवाओं पर आयोजकों की रिपोर्ट पर मामले और मुकदमे दर्ज हुए हैं। गिरफ्तारियाँ की गई हैं।
मुसलिम दुकानें बैन करने की मांग
भोपाला से भाजपा की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने शिवराज सरकार की मंत्री ऊषा ठाकुर से एक ‘कदम’ आगे निकलकर बयान दिया है। साध्वी ने कहा है, ‘देवी आराधना वाले क्षेत्रों में मुसलिमों समुदाय की दुकानों की वस्तुओं का उपयोग भी वर्जित होना चाहिए। अपनी पूजा पद्धति की शुद्धता के लिये यह आवश्यक है।’
उधर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की नेत्री उमा भारती पहले ही ऊषा ठाकुर के बयान का समर्थन कर चुकी हैं। उमा भारती ने कहा था, ‘जो लोग जय माता दी नहीं बोलते या जो माता के जयकारे नहीं लगाते, उन्हें गरबा में प्रवेश नहीं देना चाहिए।’
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के.के. मिश्रा का कहना है, ‘धर्म की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंका जाना और अकारण लोगों को परेशान करना ठीक नहीं है। गलत लोगों पर कार्रवाई हो, लेकिन निर्दोष लोगों को परेशान किया जायेगा तो ईश्वर ऐसे लोगों को दंडित जरूर करेंगे।’
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