मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल भोपाल के हमीदिया में अग्निकांड से नवजातों की मौत पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य की शिवराज सरकार अब बच्चों की मौतों का आंकड़ा छिपाने का लेकर कठघरे में है। बीजेपी की फायर ब्रांड लीडर उमा भारती ने हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राजधर्म का पालन करने की सलाह देते हुए विवाद को हवा दे दी है।
हमीदिया अस्पताल के एसएनएसयू वार्ड में सोमवार रात को आग लग गई थी। आग में चार बच्चों की मौत हो गई थी और 36 के लगभग बच्चे जख्मी हो गए थे। घायल हुए बच्चों में दर्जन भर की हालत चिंताजनक थी।
आग लगने की घटना के बाद मंगलवार को हमीदिया अस्पताल राजनीति का अखाड़ा बना रहा। पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमल नाथ के अलावा कांग्रेस के कई बड़े नेता अस्पताल पहुंचे।
उन्होंने मारे गये बच्चों के परिजनों, डॉक्टरों और स्टाफ से बात करते हुए घटना से जुड़े तथ्यों की पड़ताल की। सत्तारुढ़ दल के अनेक बड़े नेता और शिवराज काबीना के सदस्य भी हमीदिया अस्पताल पहुंचे। दिन भर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला।
कुल दस मौतों का दावा
मंगलवार को सुबह से लेकर शाम तक कई और बच्चों के शव भी मुर्दाघर पहुंचे। मंगलवार शाम तक आठ नवजातों के शव पहुंचने की सूचना थी। हादसे में अपने बच्चों को गंवाने वाले कई परिजनों ने दावा किया कि आठ शवों के अलावा दो बच्चों के शव बगैर पोस्टमार्टम के परिजनों को दे दिए गए।
परिजन जहां दस मौत होने का दावा कर रहे थे तो राज्य सरकार ताल ठोककर कहती रही कि कुल चार बच्चे ही हादसे में मारे गए हैं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी मंगलवार शाम तक चार मौतें होने की पुष्टि की।
‘आंकड़े छिपा रही है सरकार’
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने घटना वाले वार्ड के निरीक्षण और परिजनों से मेल-मुलाकात के बाद मीडिया से कहा, ‘मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार मौत के आंकड़े छिपाने में माहिर हो गई है। कोविड के दौरान ढाई लाख से भी ज्यादा मौतों पर सरकार ने पर्दा डाला। लाखों के आंकड़े को सैकड़ों बताया। अब आग हादसे में एक के बाद एक दस मौतों के खुले आंकड़ों पर भी सरकार ने पर्दा डालने का शर्मनाक काम किया है।’
कमल नाथ ने घटनाक्रम की जांच हाई कोर्ट के जज से कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि हादसे के लिए पहली नज़र में जिम्मेदार लोगों से ही इस घटना की जांच कराए जाने का कोई औचित्य नहीं है।
मंगलवार को प्रभा, महरू, तरन्नुम, राहुल प्रजापति, रीना एवं ऊषा नामक बच्चों के शव सामने आए। जबकि सोमवार रात हादसे के ठीक बाद शिवानी, इरफाना, शाजमा और रचना नामक बच्चों की मौत की जानकारी सामने आयी थी। इन चारों बच्चों की मौत की पुष्टि हमीदिया अस्पताल प्रबंधन और सरकार ने की थी। मंगलवार को जिन छह बच्चों के शव सामने आए उनकी मौत की वजह अन्य कारण होना बताया गया। कुल आठ बच्चों के पोस्टमार्टम हुए हैं। जबकि दो बच्चों के शव बिना पोस्टमार्टम के परिजनों को सौंप दिए गए।
शव लेने को लेकर हंगामा
जली अवस्था में मिले शवों को लेकर कई परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया। कुछ बच्चों के शव बदले जाने के आरोप भी लगे। एक परिजन का आरोप था कि उसके बच्चे को पहले जिंदा और स्वस्थ बताया जाता रहा, बाद में कहा गया बच्चे की मौत हो गई है। जला हुआ शव मिला तो वह किसी दूसरे बच्चे का था। बाद में बदलकर सही शव उसे दिया गया।
उमा ने आग में डाला घी
हादसे के बाद सियासत गर्म है। प्रतिपक्ष ने सरकार की जमकर घेराबंदी की हुई है। तमाम आरोप-प्रत्यारोप और दावे-प्रतिदावे के बीच पूर्व केन्द्रीय मंत्री उमा भारती के एक बयान ने आग में घी का काम किया। उमा भारती ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को ‘राजधर्म’ के पालन का मशविरा दिया तो प्रतिपक्ष कांग्रेस ने और जोरदार हमला बोला।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग से इस्तीफे की मांग कर डाली। सलूजा ने अस्पताल के डीन और भोपाल संभागायुक्त पर हत्या का मुकदमा कायम करने की मांग भी की।
प्रदेश कांग्रेस ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री सारंग के सरकारी बंगले के सामने कैंडल मार्च निकालकर धरना भी दिया। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के नेता सुरेश पचौरी, भोपाल दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के विधायक पीसी शर्मा, भोपाल मध्य के विधायक आरिफ मसूद समेत कई बड़े नेता धरने में मौजूद रहे।
मुख्य सचिव को नोटिस
मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) और हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक को मंगलवार शाम को नोटिस थमाते हुए सप्ताह भर में जांच रिपोर्ट मांगी है।
उधर, सरकार के आदेश के बाद अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) मोहम्मद सुलेमान ने घटना की जांच की शुरूआत मंगलवार सुबह ही कर दी थी।
साजिश की आशंका जताई
घटना की आरंभिक पड़ताल में बिजली की लाइन में शार्ट सर्किट से आग लगने का अंदेशा जताया जा रहा था। आग पीडियाट्रिक वेंटिलेटर ने पकड़ ली थी। बाद में यह उन वार्मर तक भी पहुंच गई थी जिसमें बच्चों को रखा गया था।
अपने बच्चों को खोने वाले कई परिजनों ने आग के पीछे साजिश का अंदेशा जताया था। एक परिजन का दावा था, ‘आग लगने की घटना से कुछ देर पहले वार्ड में एक नर्स और वार्ड ब्वॉय के बीच जमकर विवाद हुआ था। विवाद के बीच नर्स कहते सुनी गई थी कि किसी भी परिजन को खुशी-खुशी जाने नहीं देगी। सब रोते हुए जाएंगे।’
कैबिनेट ने जताया अफसोस
शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में हमीदिया अस्पताल हादसे पर अफसोस जताया गया। मुख्यमंत्री ने गहरा अफसोस जताते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों को सजा देने का भरोसा दिलाया। हादसे में घायल बच्चों के समुचित और बेहतर इलाज की बात भी मुख्यमंत्री ने कही।
हादसे के बाद अपनी जान पर खेलकर नवजातों और अस्पताल स्टाफ को बचाने वालों को पुरस्कृत करने का निर्णय भी सरकार ने लिया।
ऑडिट के दिए आदेश
मध्य प्रदेश के सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों और उनसे संबद्ध चिकित्सालयों में फायर सेफ्टी के सभी इंतजाम तथा नियमित इलेक्ट्रिक ऑडिट सुनिश्चित करने के आदेश मंगलवार की शाम मध्य प्रदेश सरकार ने जारी किए हैं।
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