मध्य प्रदेश के भिंड जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की कथित बदहाली से जुड़ी ख़बर दिखाना तीन पत्रकारों को ‘महंगा’ पड़ गया है। कलेक्टर के आदेश पर हुई जांच के बाद तीनों पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
न्यूज 24, न्यूज 18 और पत्रिका समाचार पत्र के रिपोर्टरों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड विधान की धारा 420, 505 और 59 में मुक़दमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि रिपोर्ट कुंजबिहारी कौरव, अनिल शर्मा और एन.के. भटेले ने झूठी और भ्रामक ख़बर का प्रसारण एवं प्रकाशन किया।
जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की कथित बदहाली से जुड़ा एक वीडियो 15 अगस्त को वायरल हुआ था। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के बाद ख़बर चली थी। पत्रकारों ने अपनी ख़बरों में बताया था, ‘भिंड जिले के एक गांव के 76 वर्षीय ज्ञान प्रसाद विश्वकर्मा को बीमार होने के बाद अस्पताल ले जाने के लिये एंबुलेंस नहीं मिली। कई बार 108 पर फोन करने के बाद भी एम्बुलेंस मौक़े पर नहीं पहुंची, इसके बाद परिवार के सदस्य मरीज को ठेले पर बैठाकर 5 किमी दूर अस्पताल ले जाने को मजबूर हुए।’
खबर में यह भी दावा किया गया था, ‘पीड़ित बीपीएल है। बावजूद इसके उसे सहायता नहीं मिल पायी।’ इस खबर के प्रसारण के बाद जिला कलेक्टर सतीश कुमार ने जांच बैठाई थी। दबोह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर राजीव कौरव की अगुवाई में टीम ने जांच की थी।
डॉक्टर कौरव ने कलेक्टर को सौंपी गई रिपोर्ट में खबर को फर्जी करार दिया। रिपोर्ट में बताया गया कि एम्बुलेंस के लिए कोई फोन नहीं किया गया था। पीड़ित परिवार पीएम आवास योजना, पेंशन योजनाओं और बीपीएल कार्ड सहित सभी सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहा है। इसके बाद कौरव की ही शिकायत पर दबोह पुलिस ने तीनों पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
उधर ख़बर चलाने वाले पत्रकारों का आरोप है कि ख़बर से ग़ुस्साये स्वास्थ्य अमले और प्रशासन ने गलत रिपोर्ट देकर उन्हें फंसाया है और उनकी ख़बर सही थी।
उनका आरोप है कि प्रशासन ने दबाव डालकर ज्ञान प्रसाद विश्वकर्मा के परिवारजनों से कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करवाये, कहा गया कि हस्ताक्षर नहीं करोगे तो आगे से सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं ले पाओगे। उन्होंने दावा किया है कि फर्जी ढंग से उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
एफआईआर के बाद पत्रकार बिरादरी भी लामबंद है। आरोप लगा रही है कि चौथे स्तंभ को दबाया जा रहा है। पूरे मामले की शिकायत भोपाल में आला अफसरों और नेताओं से भी की गई है।
उधर पीड़ित ने भी आरोप लगाया है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने एक कोरे कागज पर उसके हस्ताक्षर लिये। अधिकारियों ने धमकी दी कि अगर मैं मीडिया से कुछ भी बोलूँ तो मुझे मिल रही सरकार की योजनाओं के लाभ को रोक देंगे। पूरे मामले पर विपक्ष सरकार और बीजेपी को इस मामले में घेर रहा है।
‘सत्य हिन्दी’ ने भिंड कलेक्टर और एसपी से बात करने का प्रयास किया, लेकिन दोनों ही प्रतिक्रिया के लिये उपलब्ध नहीं हो पाये।
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