मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में मंत्री बिसाहूलाल सिंह चौतरफा घिर गए हैं। सवर्ण महिलाओं को लेकर की गई कथित विवादित टिप्पणी आदिवासी वर्ग के इस मंत्री के जी का जंजाल बन गई है। करणी सेना तो इस कदर खफा है कि- ‘मंत्री को जूते मारने वाले को एक लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा उसने कर दी है।’
बिसाहूलाल सिंह शिवराज सिंह कैबिनेट में खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के कार्यक्रम में क्षत्रिय समाज की महिलाओं को लेकर एक टिप्पणी की थी। उनकी टिप्पणी वायरल होने के बाद से मध्य प्रदेश में बवाल मचा हुआ है।
सवर्ण समाज नाराज है। सबसे ज्यादा आक्रोशित क्षत्रिय समाज है। करणी सेना तो खुलकर मैदान में है। करणी सेना पूरे प्रदेश में आंदोलन-प्रदर्शन कर रही है। बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय पर शनिवार को करणी सेना ने छापामार कार्रवाई करते हुए मंत्री बिसाहूलाल सिंह की गाड़ी रोककर जोरदार प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शनकारियों ने मंत्री को गाड़ी से बाहर निकालकर उन्हें ‘अपना जवाब’ देने की भरपूर कोशिश की थी। कामयाब हो पाते इसके पहले पुलिस मौके पर पहुंच गई थी। एक दर्जन प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया था।
बिसाहूलाल सिंह ने शनिवार को ही अपनी टिप्पणी पर खेद जताया था। कहा था उनके बयान को मीडिया ने तोड़-मरोड़कर पेश किया। सिंह ने माफ़ी भी मांगी थी।
उधर, टिप्पणी से नाराज होकर सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी शांत नहीं हुए थे। शाम को भी मंत्री के बंगले पर प्रदर्शन करते हुए करणी सेना ने अपने गुस्से का इजहार किया था।
मुख्यमंत्री ने दोबारा माफ़ी मांगी
विवाद बढ़ने और करणी सेना के सख्त रवैये के बाद रविवार सुबह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंत्री बिसाहूलाल को मुख्यमंत्री निवास पर तलब किया। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी इस दौरान मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने बिसाहूलाल को जमकर नसीहतें दीं।
बातचीत के बाद मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा, ‘मंत्री को नसीहत देने के लिए बुलाया था। महिला और किसी भी वर्ग का अपमान बीजेपी सहन नहीं करेगी। मंत्री हों, पार्टी पदाधिकारी हों अथवा कार्यकर्ता, हरेक को सोच-समझकर और पूरी जिम्मेदारी से अपनी बात रखनी चाहिए।’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘सरकार और पार्टी लाइन का उल्लंघन करने वाला चाहे कितना ही बड़ा आदमी क्यों न हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा।’
मुख्यमंत्री और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की क्लास के बाद बिसाहूलाल सिंह ने वीडियो संदेश जारी करते हुए पुनः खेद जताया और दोनों हाथ जोड़कर माफ़ी मांगी।
करणी सेना का फरमान
इधर, करणी सेना और सवर्ण समाज के लोग गैर जिम्मेदाराना बर्ताव और कथित ओछी टिप्पणी के लिए मंत्री बिसाहूलाल सिंह को कैबिनेट से बाहर करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। करणी सेना ने मंत्री का मुंह काला करने की घोषणा की थी। विवाद बढ़ने के बाद करणी सेना की ओर से नया बयान सामने आया है।
करणी सेना ने नये बयान में कहा है, ‘मंत्री बिसाहूलाल सिंह को जो भी जूते मारेगा, उसे करणी सेना एक लाख रुपये का इनाम देगी।’
कांग्रेस से बीजेपी में आए बिसाहूलाल
साल 2018 का चुनाव बिसाहूलाल ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा और जीता था। वे अनूपपुर से आते हैं। अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाले 71 साल के बिसाहूलाल सिंह कांग्रेस के टिकट पर 2018 में पांचवीं बार विधायक बने थे। कमल नाथ ने उन्हें कैबिनेट में नहीं लिया था। इससे वे खासे खफा थे।
बिसाहूलाल सिंह दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री रहे। वे दिग्विजय सिंह के बेहद नजदीकियों में गिने जाते रहे।
कांग्रेस से बगावत करने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कमल नाथ की सरकार गिराने के 2020 के खेल के दौरान साहू ने भी पाला बदल लिया था। कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा देते हुए वे सिंधिया का हाथ थामकर बीजेपी में शामिल हो गए थे।
दिग्विजय ने लिया निशाने पर
पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य दिग्विजय सिंह ने क्षत्रिय महिलाओं पर विवादित टिप्पणी के ठीक बाद बिसाहूलाल सिंह को घेरते हुए कहा था, ‘वह बिसाहूलाल नहीं, बिकाऊ लाल हैं। मेरे मंत्रिमंडल में रहते हुए बिसाहूलाल ने ऐसी बात कभी नहीं की, जैसी आज कर रहे हैं।’
मंत्री बिसाहूलाल सिंह के ठाकुर महिलाओं पर दिए विवादित बयान पर दिग्विजय सिंह के विधायक बेटे जयवर्धन सिंह ने ट्वीट करते हुए चेतावनी दी थी, ‘आप हाथ पकड़कर घर से निकालने की बात करते हो, इतिहास गवाह है - हमने आंख उठाने वालों को माफ़ नहीं किया है। जमीर की नीलामी से मिले पैसे ने मंत्री जी का दिमाग खराब कर दिया है।’
इस टिप्पणी पर है बवाल
अनूपपुर में हाल ही में आयोजित एक सभा में खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने कहा था- ‘जितने बड़े-बड़े लोग हैं, ठाकुर-ठकार और दूसरे सवर्ण लोग, वो अपनी औरतों को कोठरी में बंद करके रखते हैं। बाहर निकलने ही नहीं देते, जितना धान काटने, आंगन लीपने, गोबर फेंकने के काम हैं, ये सब हमारे गांव की महिलाएं करती हैं।’
मंत्री यहीं नहीं रूके थे उन्होंने आगे कहा था, ‘जब महिलाओं और पुरुषों का बराबर अधिकार है, तो दोनों को बराबरी से काम भी करना चाहिए। सब अपने अधिकारों को पहचानो और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करो और बड़े लोगों के घर की महिला बाहर न निकले तो खींचकर, पकड़-पकड़कर बाहर निकालो, तभी तो महिलाएं आगे बढ़ेंगी।’
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