नाथूराम गोडसे समर्थक एक पार्षद को पार्टी में प्रवेश देने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस में उपजा असंतोष और बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव के बाद अब राहुल गांधी की बेहद करीबी पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन मैदान में उतर आयी हैं।
मध्य प्रदेश के मंदसौर से कांग्रेस की सांसद रहीं मीनाक्षी नटराजन ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर ‘हे राम’ शीर्षक से एक पोस्ट की। इस पोस्ट में नटराजन ने कहा है, “गांधी के मार्ग से प्रभावित होकर मैंने राजनीति में आने का संकल्प लिया था।”
नटराजन ने पोस्ट में आगे लिखा है, “गोडसे का बयान था कि गांधी के 32 वर्ष के काम कारण उन्हें मारा। यानी 32 वर्ष तक ग़रीब को निडर करने का काम गांधी ने किया वो गोडसे को गवारा नहीं था।”
मीनाक्षी ने कहा है, “आज उनके (नाथूराम गोडसे) उपासक यदि कांग्रेस में लिये जाते हैं तो प्रश्न यह उठता है कि क्या गांधी के विचार की हत्या आज भी जारी नहीं है?” पोस्ट के अंत में कांग्रेस की पूर्व सांसद ने कहा, “मैं इसका समर्थन नहीं कर सकती, ये मेरा निजी मत और सत्याग्रह है कि इस निर्णय पर पुनर्विचार हो।”
बता दें, मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर के एक पार्षद बाबूलाल चौरसिया को बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ की मौजूदगी में मध्य प्रदेश कांग्रेस में शामिल किया गया है। चौरसिया पुराने कांग्रेसी हैं। साल 2014 के स्थानीय निकाय चुनावों में टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी।
गोडसे की ‘पूजा-अर्चना’
चौरसिया ग्वालियर के वार्ड 44 से हिन्दू महासभा के टिकट पर चुनाव जीते थे। इसी वार्ड में नाथूराम गोडसे का मंदिर बनवाया गया। आरोप है कि इस मंदिर को बनवाने में चौरसिया की भी महती भूमिका रही। कई बार गोडसे की ‘पूजा-अर्चना’ के कार्यक्रम मंदिर में हुए। चौरसिया इन कार्यक्रमों में शामिल होकर और पूजा-अर्चना कर मीडिया की सुर्खियों में रहे।
स्थानीय निकाय चुनाव की आहट के ठीक पहले बाबूलाल चौरसिया की कांग्रेस में वापसी हुई तो बवाल मच गया। ग्वालियर के एक कांग्रेस विधायक ने बाबूलाल की कांग्रेस में री-एंट्री कराई। कमलनाथ की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता दिलाने पर हंगामा खड़ा हो गया।
पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव ने गुरूवार को तीखा अंसतोष जताया था। उन्होंने ट्वीट किया था, “बापू हम शर्मिन्दा हैं।” उन्होंने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और दिग्विजय सिंह को टैग किया था।
‘मैं खामोश नहीं बैठ सकता’
यादव यहीं नहीं रुके, शुक्रवार को भी उन्होंने एक प्रेस बयान जारी किया। इस बयान में यादव ने कहा, “महात्मा गांधी और गांधीजी की विचारधारा की हत्या करने वाले के खिलाफ मैं खामोश नहीं बैठ सकता हूं। मैं आरएसएस की विचारधारा को लेकर लाभ-हानि की चिंता किये बिना जुबानी जंग नहीं, बल्कि सड़क पर लड़ाई लड़ता हूं। मेरी आवाज कांग्रेस और गांधी विचारधारा को समर्पित एक सच्चे कांग्रेस कार्यकर्ता की आवाज है।”
यादव ने सवाल उठाया, “यदि यही स्थिति रही तो गोडसे को देशभक्त बताने वाली भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर भविष्य में कांग्रेस में प्रवेश करेंगी तो क्या कांग्रेस उसे स्वीकार करेगी?”
निशाने पर हैं कमलनाथ
अरुण यादव हों अथवा मीनाक्षी नटराजन, दोनों ही के निशाने पर कमलनाथ हैं। कमलनाथ कथित रूप से लंबे वक्त से राहुल गांधी की आंख की किरकिरी बने बताये जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में साल 2018 में जब कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी तब मुख्यमंत्री पद को लेकर चली जद्दोजहद में राहुल गांधी का झुकाव ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ बताया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के वीटो की वजह से कुर्सी कमलनाथ के खाते में आ गई थी।
पन्द्रह महीने बाद सिंधिया की नाराजगी और सिंधिया के प्रति दिल्ली की कथित बेरूखी की वजह से कमलनाथ सरकार की विदाई हो गई थी। शिवराज की अगुवाई में बीजेपी की सत्ता में वापसी के जनक भी सिंधिया ही रहे थे।
बहरहाल, प्रेक्षकों का मत है कि कमलनाथ को लेकर पार्टी में ताजा असंतोष आने वाले तूफान का संकेत है।
दिग्विजिय सिंह ने दिखाई चतुराई
शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य दिग्विजय सिंह ने भोपाल में किसानों के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेन्स की। इसमें बाबूलाल चौरसिया को लेकर सवाल हुए। मीडिया के सवालों को दिग्विजय सिंह ने अपनी शैली में ‘हवा’ में उड़ा दिया। दिग्विजय सिंह ने सवाल पर मीडिया से प्रतिप्रश्न किया, ‘कौन बाबूलाल चौरसिया?’
चौरसिया के कांग्रेस में प्रवेश को लेकर तमाम सवाल और राजनीतिक दांव-पेच हो रहे हैं, लेकिन इस पूरे मामले पर कमलनाथ की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया है।
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