एंटनी की ‘लाइन’ पर किया प्रचार
लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस को मिली बेहद क़रारी हार के कारणों की समीक्षा के बाद ए.के.एंटनी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने लंबी-चौड़ी रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को सौंपी थी। उस रिपोर्ट के मुख्य अंश आज तक कांग्रेस ने पूरी तरह से सार्वजनिक नहीं किये हैं। रिपोर्ट के कुछ अंश अलबत्ता मीडिया प्रकाशित करने में सफल रहा। एंटनी कमेटी ने कांग्रेस की ज़बरदस्त पराजय की एक बड़ी वजह कांग्रेस की ‘हिन्दुत्व विरोधी’ छवि को दिया था। कमेटी की रिपोर्ट का ‘असर’ कांग्रेस के खेवनहार राहुल गाँधी पर 2014 के बाद दिखाई देने लगा था। कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में राहुल मठ और मंदिरों में मत्था टेकते नजर आए थे। राहुल के प्रचार की रणनीति में बदलाव का फायदा भी कांग्रेस को हुआ था। लोकसभा चुनाव 2019 में राहुल गाँधी के मंदिर-मठ जाने का सिलसिला तेज़ हुआ। इधर, भोपाल में भी दिग्विजय सिंह पूरी तरह से एंटनी की ‘लाइन’ को स्वीकार करते हुए ‘भगवा रंग’ में रंगे नज़र आये।90 मठ-मंदिरों में गए दिग्विजय
दिग्विजय सिंह ने 44 दिनों के अपने प्रचार में भोपाल लोकसभा क्षेत्र के लगभग 90 मठ और मंदिरों में मत्था टेका। सिंह ने 55 के क़रीब बड़ी सभाएँ कीं। अलग-अलग समाज के लोगों के साथ तीन दर्जन से ज़्यादा बैठकें कीं। दिग्विजय सिंह के प्रचार में भगवा झंडा उठाये तथा जीत की प्रार्थना के लिए धूनी रमाते साधु-संत और बाबा भी ख़ूब नज़र आये।मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिग्विजय सिंह ने पैदल नर्मदा परिक्रमा की थी। मध्य प्रदेश से गुजरात तक नर्मदा के किनारे को पैदल नापकर वह यह संदेश देने में कामयाब रहे कि उनका हिन्दुत्व प्रेम बीजेपी के 'कथित' हिन्दुत्व से कहीं आगे हैं।
दिग्विजय सिंह कहते हैं, ‘हिन्दुत्व बीजेपी की जागीर नहीं है।’ चार दशक से ज़्यादा का वक्त उन्हें राजनीति करते हुए हो गया है। वह कहते हैं, ‘राघौगढ़ (आज़ादी के पूर्व की मप्र की एक रियासत) में कई पुश्तैनी मंदिर हैं। इन मंदिरों में अखंड ज्योति जलती थी और आज भी दशकों पूर्व के उस सिलसिले को वह और उनके परिजन आगे बढ़ा रहे हैं।’
“
मुख्यमंत्री बनने के पहले और बाद में मैंने कई बार गोवर्धन परिक्रमा की। हर एकादशी को मैं व्रत रखता हूँ। देवालयों में निरंतर जाता हूँ। मगर, इस सबका मैं प्रचार नहीं करता।
दिग्विजय सिंह, कांग्रेस उम्मीदवार, भोपाल
शाह का रोड शो, नहीं आये मोदी
भोपाल की बेहद दिलचस्प चुनावी जंग में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार 8 मई को पुराने शहर (मुसलिम बाहुल्य क्षेत्र) में एक रोड शो किया। बीजेपी ने संकेत दिये थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रज्ञा सिंह के प्रचार के लिये आ सकते हैं, लेकिन मोदी का भोपाल आने का कार्यक्रम अंतिम रूप ले पाने के पूर्व ही प्रचार का सिलसिला थम गया।बीजेपी 30 सालों के जीत के सिलसिले को बरकरार रख पायेगी अथवा दिग्विजय सिंह करिश्मा करने में सफल होंगे? इन सवालों का सटीक जवाब तो 23 मई को ही मिल पायेगा।
भगवा, राष्ट्रवाद, मोदी लहर का सहारा
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का चुनाव प्रचार भगवा, हिन्दुत्व, राष्ट्रवाद और मोदी लहर के भरोसे ही नज़र आया। पूरे चुनाव प्रचार में साध्वी तीन दर्जन बार मठ-मंदिर और गुरूद्वारों की शरण में गईं। तीन दिनों के प्रचार पर रोक के दौरान प्रज्ञा सिंह मठ और मंदिरों में ही ‘भजन-कीर्तन’ करती रहीं। उन्होंने लगभग डेढ़ दर्जन बड़ी सभाएँ कीं। आधा दर्जन बड़े रोड शो किए। साध्वी प्रज्ञा सिंह ने प्रचार थमने के तीन दिन पहले भोपाल को लेकर घोषणा पत्र जारी किया। उनका घोषणा पत्र, जीतने पर भोपाल को लेकर ‘विजन पत्र’ से कहीं ज़्यादा दिग्विजय शासनकाल की आलोचना पर केन्द्रित रहा।मालेगाँव बम ब्लास्ट और आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड के आरोपों का स्मरण कराये जाने पर साध्वी का जवाब होता था, ‘सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और देश के टुकड़े-टुकड़े करने वाली गैंग के कन्हैया कुमार पर केस चल रहा है - और जब वे चुनाव लड़ रहे हैं तो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर क्यों चुनाव नहीं लड़ सकतीं।’
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