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ख़ुद को ‘बड़ा हिंदू’ दिखाने में जुटे रहे दिग्विजय-प्रज्ञा

देश की सबसे हॉट लोकसभा सीटों में से एक भोपाल में 12 मई को वोट डाले जाएँगे। नतीजे आने के बाद चुनाव प्रचार के दौरान चली ‘बड़ा हिंदू’ कौन? की ‘जंग’ का भी पता चल जाएगा। चुनाव मैदान में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। उनके सामने बीजेपी ने भगवा की बड़ी पैरोकार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को टिकट दिया है। इस सीट पर क़रीब 19 लाख मतदाता हैं।
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भोपाल लोकसभा सीट बीजेपी के अभेद्य गढ़ में शुमार है। इस सीट पर 1989 से बीजेपी काबिज है। तीस सालों की सतत हार के सिलसिले को समाप्त कर कांग्रेस का परचम फहराने के प्रयास की ज़िम्मेदारी दिग्विजय सिंह ने उठा रखी है। सिंह की उम्मीदवारी का एलान 23 मार्च को किया गया था और उन्होंने 26 मार्च से भोपाल में चुनाव प्रचार आरंभ कर दिया था। बीजेपी ने लंबे विचार मंथन के बाद अप्रैल मध्य के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह के नाम की घोषणा की। बीजेपी को यहाँ पिछले चुनाव में क़रीब पौने चार लाख वोटों से जीत मिली थी। प्रज्ञा सिंह ने 19 अप्रैल से अपने प्रचार का आगाज किया था।

एंटनी की ‘लाइन’ पर किया प्रचार

लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस को मिली बेहद क़रारी हार के कारणों की समीक्षा के बाद ए.के.एंटनी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने लंबी-चौड़ी रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को सौंपी थी। उस रिपोर्ट के मुख्य अंश आज तक कांग्रेस ने पूरी तरह से सार्वजनिक नहीं किये हैं। रिपोर्ट के कुछ अंश अलबत्ता मीडिया प्रकाशित करने में सफल रहा। एंटनी कमेटी ने कांग्रेस की ज़बरदस्त पराजय की एक बड़ी वजह कांग्रेस की ‘हिन्दुत्व विरोधी’ छवि को दिया था। कमेटी की रिपोर्ट का ‘असर’ कांग्रेस के खेवनहार राहुल गाँधी पर 2014 के बाद दिखाई देने लगा था। कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में राहुल मठ और मंदिरों में मत्था टेकते नजर आए थे। राहुल के प्रचार की रणनीति में बदलाव का फायदा भी कांग्रेस को हुआ था। लोकसभा चुनाव 2019 में राहुल गाँधी के मंदिर-मठ जाने का सिलसिला तेज़ हुआ। इधर, भोपाल में भी दिग्विजय सिंह पूरी तरह से एंटनी की ‘लाइन’ को स्वीकार करते हुए ‘भगवा रंग’ में रंगे नज़र आये।
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90 मठ-मंदिरों में गए दिग्विजय

दिग्विजय सिंह ने 44 दिनों के अपने प्रचार में भोपाल लोकसभा क्षेत्र के लगभग 90 मठ और मंदिरों में मत्था टेका। सिंह ने 55 के क़रीब बड़ी सभाएँ कीं। अलग-अलग समाज के लोगों के साथ तीन दर्जन से ज़्यादा बैठकें कीं। दिग्विजय सिंह के प्रचार में भगवा झंडा उठाये तथा जीत की प्रार्थना के लिए धूनी रमाते साधु-संत और बाबा भी ख़ूब नज़र आये।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिग्विजय सिंह ने पैदल नर्मदा परिक्रमा की थी। मध्य प्रदेश से गुजरात तक नर्मदा के किनारे को पैदल नापकर वह यह संदेश देने में कामयाब रहे कि उनका हिन्दुत्व प्रेम बीजेपी के 'कथित' हिन्दुत्व से कहीं आगे हैं।

दिग्विजय सिंह कहते हैं, ‘हिन्दुत्व बीजेपी की जागीर नहीं है।’ चार दशक से ज़्यादा का वक्त उन्हें राजनीति करते हुए हो गया है। वह कहते हैं, ‘राघौगढ़ (आज़ादी के पूर्व की मप्र की एक रियासत) में कई पुश्तैनी मंदिर हैं। इन मंदिरों में अखंड ज्योति जलती थी और आज भी दशकों पूर्व के उस सिलसिले को वह और उनके परिजन आगे बढ़ा रहे हैं।’ 

मुख्यमंत्री बनने के पहले और बाद में मैंने कई बार गोवर्धन परिक्रमा की। हर एकादशी को मैं व्रत रखता हूँ। देवालयों में निरंतर जाता हूँ। मगर, इस सबका मैं प्रचार नहीं करता।


दिग्विजय सिंह, कांग्रेस उम्मीदवार, भोपाल

पूर्व मुख्यमंत्री सिंह यह भी कहते हैं, ‘धर्म, निजी मसला है, उसके प्रचार को मैं उचित नहीं मानता।’ इस चुनाव में मठ-मंदिरों में पूजा-अर्चना का सिलसिला कुछ ज़्यादा ही होने के सवाल पर दिग्विजय सिंह का शांत जवाब होता है, ‘प्रतिद्वंदी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जी हैं और बीजेपी प्रचार कम कुप्रचार ज़्यादा करती है - लिहाजा मीडिया में ‘बड़ा हिंदू’ कौन? की चर्चा ज़्यादा हो रही है।’

शाह का रोड शो, नहीं आये मोदी

भोपाल की बेहद दिलचस्प चुनावी जंग में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार 8 मई को पुराने शहर (मुसलिम बाहुल्य क्षेत्र) में एक रोड शो किया। बीजेपी ने संकेत दिये थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रज्ञा सिंह के प्रचार के लिये आ सकते हैं, लेकिन मोदी का भोपाल आने का कार्यक्रम अंतिम रूप ले पाने के पूर्व ही प्रचार का सिलसिला थम गया।
बीजेपी 30 सालों के जीत के सिलसिले को बरकरार रख पायेगी अथवा दिग्विजय सिंह करिश्मा करने में सफल होंगे? इन सवालों का सटीक जवाब तो 23 मई को ही मिल पायेगा।

भगवा, राष्ट्रवाद, मोदी लहर का सहारा

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का चुनाव प्रचार भगवा, हिन्दुत्व, राष्ट्रवाद और मोदी लहर के भरोसे ही नज़र आया। पूरे चुनाव प्रचार में साध्वी तीन दर्जन बार मठ-मंदिर और गुरूद्वारों की शरण में गईं। तीन दिनों के प्रचार पर रोक के दौरान प्रज्ञा सिंह मठ और मंदिरों में ही ‘भजन-कीर्तन’ करती रहीं। उन्होंने लगभग डेढ़ दर्जन बड़ी सभाएँ कीं। आधा दर्जन बड़े रोड शो किए। साध्वी प्रज्ञा सिंह ने प्रचार थमने के तीन दिन पहले भोपाल को लेकर घोषणा पत्र जारी किया। उनका घोषणा पत्र, जीतने पर भोपाल को लेकर ‘विजन पत्र’ से कहीं ज़्यादा दिग्विजय शासनकाल की आलोचना पर केन्द्रित रहा।
मालेगाँव बम ब्लास्ट और आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड के आरोपों का स्मरण कराये जाने पर साध्वी का जवाब होता था, ‘सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और देश के टुकड़े-टुकड़े करने वाली गैंग के कन्हैया कुमार पर केस चल रहा है - और जब वे चुनाव लड़ रहे हैं तो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर क्यों चुनाव नहीं लड़ सकतीं।’
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दिग्विजय ने की ‘धुआँधार बैटिंग’

कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने चुनाव प्रचार के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सिंह का पूरा प्रचार अलग अंदाज में केन्द्रित रहा। भगवा और हिन्दुत्व के पैरोकार के रूप में नज़र आने के अलावा दिग्विजय सिंह ने पूरे प्रचार में उस तरह का कोई विवादास्पद बयान अथवा भाषण नहीं दिया, जिसे लेकर वे ‘ख्यात’ रहे हैं। सिंह की टीम में जेएनयू के पासआउट भी शामिल रहे, और हरे रंग के पैरोकार भी लेकिन उन्होंने भी ऐसी कोई बयानबाज़ी नहीं की जिससे बीजेपी को दिग्विजय सिंह अथवा कांग्रेस को घेरने का कोई मौक़ा मिल पाता।
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संजीव श्रीवास्तव
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