टीवी वालों की भाषा में कहें तो ‘आईबॉल कैचिंग’ यानी दर्शकों का ध्यान अपनी तरफ़ बनाए रखने में प्रियंका गाँधी सफल रही हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश की अपनी पहली यात्रा के समय भी, अहमदाबाद के अधिवेशन में भी, दलित नेता चन्द्रशेखर से मिलने के समय भी और प्रयाग से वाराणसी की गंगा यात्रा में भी। आईबॉल कैचिंग का व्यावहारिक अर्थ है टीआरपी बटोरना। टीआरपी बटोरने का टीवी वालों के लिए मतलब है- विज्ञापन और कमाई। पर हमारे-आपके लिए इसका मतलब है कि प्रियंका लोगों का ध्यान खींच रही हैं और उनकी अभी तक की राजनीतिक गतिविधियों को पसन्द किया जा रहा है। उनके राजनीति में उतरने को लेकर जो अटकलें लग रही थीं वह उनकी राजनीति के प्रति उत्सुकता भी थी।
टीवी की टीआरपी तो मिली, क्या वोट भी बटोर पाएँगी प्रियंका?
- विचार
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- 22 Mar, 2019

जिस टीवी पर मोदी का ‘कब्ज़ा’ माना जाता था वह भी प्रियंका गाँधी को लगातार आठ घंटे और फिर चार दिन क़रीब-क़रीब लगातार दिखाता रहा। टीवी का ध्यान अपनी तरफ़ बनाए रखने में प्रियंका सफल रही हैं। लेकिन अब सवाल उठता है कि क्या वह चुनाव में अपनी पार्टी के लिए वोट भी खींच पाएँगी?