अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद बीजेपी के मुख्यालय से ‘राष्ट्र को धन्यवाद’ देते हुए नरेन्द्र मोदी अगर धर्मनिरपेक्षता के डिस्कोर्स को ध्वस्त करने को अपनी सबसे प्रमुख उपलब्धि बता रहे थे तो यह बात राजनीति करने वाले और राजनीति पर सोच-समझ रखने वाले सभी लोगों के लिए ध्यान देने वाली थी। यह सही है कि प्रबन्धन और चौकसी में नरेन्द्र मोदी और उनके पटु शिष्य अमित शाह का कोई जबाब नहीं है, पर लड़ाई सिर्फ़ इससे नहीं लड़ी गई। संघ परिवार, बीजेपी और नरेन्द्र मोदी ने पूरा चुनाव बहुत ही साफ़ सोची-समझी रणनीति और एक लम्बी दृष्टि के साथ लड़ी। 'मोदी-मोदी' से शुरू हुआ चुनाव अगर 'मोदी-मोदी' एक शोर के साथ ख़त्म हो रहा है तो यह नहीं मान लेना चाहिए कि इस बीच कोई राजनीति बदली ही नहीं या ख़ुद नरेन्द्र मोदी कुछ नहीं बदले।