कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुक़दमा दर्ज कराने के बाद बीजेपी अब इसे बड़ा मुद्दा बनाने में जुट गई है। अब बीजेपी के तमाम प्रवक्ता और मीडिया पैनलिस्ट्स तत्काल प्रभाव से राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ हर मंच पर आरोप लगाते दिखेंगे कि संवैधानिक संस्थाओं की दुहाई देने वाले राहुल गाँधी ख़ुद सुप्रीम कोर्ट का कितना सम्मान करते हैं, यह इसी से साबित है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को तोड़-मरोड़ करके उसे प्रधानमंत्री को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया है। इस मुद्दे पर राहुल गाँधी को चौतरफ़ा घेरने की रणनीति के तहत ही पार्टी ने राहुल के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मुक़दमा दर्ज कराया है।
ग़ौरतलब है कि नई दिल्ली से बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुक़दमा दर्ज कराया है। सुप्रीम कोर्ट ने मीनाक्षी लेखी की याचिका मंजूर करते हुए इस पर सुनवाई की हामी भर दी है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 15 अप्रैल को सुनवाई होगी। बता दें कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में रफ़ाल मुद्दे पर दोबारा सुनवाई की याचिका स्वीकार होने के बाद राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला बोला था।
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिका में मीनाक्षी लेखी ने आरोप लगाया है कि राहुल गाँधी ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हुए कहा था, ‘अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है। रफ़ाल डील में चोरी हुई है।’
बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक़, शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में हुई एक अहम बैठक में सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले पर राहुल गाँधी को चौतरफ़ा घेरने की रणनीति बनी है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में रणनीति को अंतिम रूप देने के बाद पार्टी के तमाम प्रवक्ताओं और मीडिया पैनलिस्ट्स को संदेश दिया गया है कि वे तत्काल हर मंच पर राहुल गाँधी पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने का आरोप लगाएँ।
पार्टी की रणनीति सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले इस मुद्दे पर देश भर में राहुल गाँधी के ख़िलाफ़ यह माहौल बनाने की है कि बार-बार संवैधानिक संस्थाओं की दुहाई देने वाले राहुल गाँधी ख़ुद संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करने का कोई मौक़ा नहीं चूकते।
बीजेपी अपना मीडिया मैनेजमेंट बहुत ही संगठित तरीके़ से करती है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार में वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण रोजाना कई घंटे पार्टी दफ़्तर में बैठते हैं। ये दोनों ही नेता तमाम मुद्दों पर फ़ीडबैक लेकर प्रवक्ताओं और मीडिया पैनलिस्ट्स को बताते हैं कि किस मुद्दे पर क्या बोलना है, कितना बोलना और कैसे बोलना है।
पार्टी के तमाम प्रवक्ता और मीडिया पैनलिस्ट्स हर मुद्दे पर पार्टी की तरफ़ से दी गई लाइन के मुताबिक़ ही बोलते हैं। कौन सा प्रवक्ता, पैनलिस्ट किस मंच पर क्या बोल रहा है, इस पर निगरानी रखने के लिए भी पार्टी में बेहद मजबूत सिस्टम है। लाइन से ज़रा सा भी इधर-उधर होने पर प्रवक्ताओं या पैनलिस्ट पर गाज गिरने में देर नहीं लगती।
दरअसल, बीजेपी में इस बात को लेकर बड़ी बेचैनी है कि राहुल गाँधी हर मंच से 'चौकीदार चोर है' के नारे लगवाते हैं। इससे बीजेपी रफ़ाल मुद्दे पर पिछले 6 महीनों से बैकफ़ुट पर चल रही है। राहुल गाँधी के इसी नारे की काट के लिए बीजेपी को प्रधानमंत्री के पक्ष में 'मैं भी चौकीदार' अभियान छेड़ना पड़ा।
अब बीजेपी की कोशिश है कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मुक़दमे के बहाने राहुल गाँधी को जमकर बदनाम किया जाए और सुप्रीम कोर्ट मैं इस मामले की सुनवाई के दौरान राहुल के इस नारे पर पाबंदी लगवाने की कोशिश की जाए।
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