जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में कथित रूप से राजद्रोह के नारे लगने से पहले शायद ही किसी ने इस बारे में सुना होगा। लेकिन इस मामले में जेनएयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उनके साथियों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज होने के बाद तो ऐसी कई ख़बरें आईं कि किसी राज्य में व्यवस्था या सत्ता के ख़िलाफ़ आवाज उठा रहे व्यक्ति पर राजद्रोह का क़ानून लगा दिया गया या उन्हें इसका डर दिखाया गया। क़ानून का रत्ती भर भी ज्ञान न रखने वालों ने इसे देशद्रोह कहा और हर उस शख़्स को देशद्रोही बताना शुरू कर दिया जो उनकी राय से इत्तेफ़ाक न रखता हो।
राजद्रोह के क़ानून का सबसे ज़्यादा दुरुपयोग, जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा
- क़ानून
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- 8 Sep, 2019
पिछले कुछ सालों में जिस तरह राजद्रोह से संबंधित धारा 124A का दुरुपयोग हुआ है उससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या हमें इसके बारे में फिर से विचार करने की ज़रूरत है।
