सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले में फ़ैसला हो गया। सभी 22 आरोपी बरी हो गए। अदालत ने कहा कि सोहराबुद्दीन केस में किसी तरह की साज़िश की बात साबित नहीं हुई। क्यों साबित नहीं हुई? मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत के जज एस. जे. शर्मा ने अपने फ़ैसले में इसका कारण भी बताया। जज ने कहा कि 'मुझे खेद है कि अभियोजन पक्ष कोई ऐसा पुख़्ता सबूत और साक्ष्य नहीं ला सका, जिससे साज़िश साबित होती। मैं असहाय हूँ।"
सोहराबुद्दीन केस में 22 बरी, जज ने कहा- मैं असहाय
- देश
- |
- 29 Mar, 2025
सोहराबुद्दीन शेख-प्रजापति मुठभेड़ मामले में महाराष्ट्र की सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है। केस में किसी तरह की साज़िश की बात साबित नहीं हुई।

यह मुक़दमा 13 साल तक चला। कुल 210 गवाह थे। जिसमें से 92 मुकर गए। पहले जस्टिस बृजगोपाल लोया इसी मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिनकी नागपुर में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। जस्टिस लोया की मृत्यु के बाद जज एस. जे. शर्मा को यह मामला सुनवाई के लिए सौंपा गया।
सोहराबुद्दीन केस में गवाहों के लगातार मुकरते रहने को लेकर लगातार सवाल उठते रहे और बाद में जस्टिस लोया की मौत ने कई नए संदेहों को जन्म दिया। उनकी मौत किन परिस्थितियों में हुई, इसका रहस्य आज तक नहीं सुलझ सका है। जब जज लोया की रहस्यमय मृत्यु के मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई शुरू की, तो सुप्रीम कोर्ट ने ख़ुद इस मामले को अपने हाथ में ले लिया और मुंबई हाईकोर्ट को इसकी सुनवाई करने से रोक दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज लोया की मौत सामान्य थी और इसमें कोई और जाँच कराने की ज़रूरत नहीं है।