कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर कहा है कि कर्नाटक की एक इंच जमीन भी महाराष्ट्र को नहीं दी जाएगी। यह प्रस्ताव ऐसे वक्त में पास किया गया है जब महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद की लड़ाई जोरों पर है।
कर्नाटक की विधानसभा में बीजेपी नेताओं ने महाराष्ट्र के मंत्रियों और नेताओं पर जुबानी हमले किए।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शिवसेना के उद्धव गुट के सांसद संजय राउत को चीन का एजेंट बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह संजय राउत ने यह बात कही है इससे ऐसा लगता है कि वह चीन के पक्ष में हैं, वह देशद्रोही हैं और इससे ज्यादा उन्हें क्या कहा जाए।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि अगर तुम चीनी सैनिकों की तरह आओगे तो हम वही करेंगे जो भारतीय सैनिकों ने किया। विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी संजय राउत के बयान की निंदा की है।
क्या कहा था राउत ने?
कुछ दिन पहले संजय राउत ने कहा था कि उनकी पार्टी के नेता कर्नाटक में कुछ इसी तरह घुसेंगे जिस तरह चीन भारत की सीमा में घुसा है। संजय राउत ने कहा था कि हम कर्नाटक में जाएंगे और हमें किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि वह इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहते हैं लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री इसे भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। राउत ने महाराष्ट्र की बीजेपी-एकनाथ शिंदे सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि यह एक कमजोर सरकार है और वह इस मामले में कोई फैसला नहीं कर पा रही है।
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बताना होगा कि बेलगावी को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक वर्षों से आमने-सामने हैं और बीते कुछ महीनों में यह लड़ाई और तेज हुई है। बेलगावी जिला कर्नाटक में पड़ता है लेकिन महाराष्ट्र इस पर अपना अधिकार जताता है।
चूंकि महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों ही राज्यों में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार है इसलिए बीजेपी के लिए इस मसले को सुलझाना बड़ी चुनौती है। कर्नाटक में कुछ ही महीनों के अंदर विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं इसलिए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई यह नहीं चाहते कि उनकी सरकार इस मामले में बैकफुट पर दिखे। क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो निश्चित रूप से बीजेपी को विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने के लिए कहा था।
कुछ दिन पहले कर्नाटक में विलय का प्रस्ताव पास करने वाली महाराष्ट्र की 11 में से 10 ग्राम पंचायतों ने अपना प्रस्ताव रद्द कर दिया था। महाराष्ट्र सरकार की ओर से सोलापुर जिले के अक्कलकोट की 11 ग्राम पंचायतों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में उनसे यह पूछा गया था कि वे बताएं कि उन्होंने कर्नाटक में विलय का प्रस्ताव क्यों पास किया था।
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पुराना है विवाद
बता दें कि 1947 से पहले महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य अलग नहीं थे। तब बॉम्बे प्रेसीडेंसी और मैसूर स्टेट हुआ करते थे। आज के कर्नाटक के कई इलाक़े उस समय बॉम्बे प्रेसीडेंसी में थे। आज के बीजापुर, बेलगावी (पुराना नाम बेलगाम), धारवाड़ और उत्तर कन्नड़ जिले बॉम्बे प्रेसीडेंसी में ही थे।
बॉम्बे प्रेसीडेंसी में मराठी, गुजराती और कन्नड़ भाषाएं बोलने वाले लोग रहा करते थे। आज़ादी के बाद भाषा के आधार पर राज्यों का बंटवारा शुरू हुआ। बेलगाम में मराठी बोलने वालों की संख्या कन्नड़ बोलने वालों की संख्या से ज्यादा थी। लेकिन बेलगाम नगरीय निकाय ने 1948 में माँग की कि इसे मराठी बहुल होने के चलते प्रस्तावित महाराष्ट्र राज्य का हिस्सा बनाया जाए।
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