महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच चल रहे सीमा विवाद में मंगलवार को बेलगावी में माहौल उस वक्त हिंसक हो गया जब महाराष्ट्र से कर्नाटक आ रहे ट्रक को रोक लिया गया। इस पर कुछ लोगों ने स्याही फेंकी और पथराव भी किया। इस ट्रक के शीशे तोड़ दिए गए। यह प्रदर्शन कर्नाटक रक्षण वैदिके नाम के संगठन ने किया। पुलिस ने इस संगठन के कार्यकर्ताओं को मौके से हटाया। संगठन के कार्यकर्ताओं ने इस दौरान जमकर नारेबाजी भी की।
कार्यकर्ताओं के पास पारंपरिक कन्नड़ झंडा था और उन्होंने प्रदर्शन के दौरान रोड को जाम करने की कोशिश की। पुलिस ने उन्हें वहां से खदेड़ा लेकिन वे सड़क पर लेट गए।
पुलिस तैनात
घटना के बाद महाराष्ट्र-कर्नाटक के बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस को तैनात कर दिया गया है। कर्नाटक ने हाल ही में महाराष्ट्र के कुछ गांवों पर अपना दावा जताया था और इसके बाद दोनों राज्य सरकारों के बीच जंग और तेज हो गई थी।
बताना होगा कि बेलगावी जिला कर्नाटक में पड़ता है लेकिन महाराष्ट्र उस पर अपना अधिकार जताता है।
फडणवीस ने की बोम्मई से बात
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से बात की है और इस घटना को लेकर नाराजगी जताई है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया है कि महाराष्ट्र से कर्नाटक की सीमा में आने वाले वाहनों को पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
उधर, महाराष्ट्र सरकार के दो मंत्रियों ने बेलगावी जिले में अपने कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। बेलगावी जिले के प्रशासन ने सोमवार को एक आदेश जारी कर महाराष्ट्र के मंत्रियों के आने पर रोक लगा दी थी। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि अगर महाराष्ट्र के मंत्रियों का प्रतिनिधिमंडल बेलगावी आता है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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महाराष्ट्र सरकार के मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा है कि इस बारे में फिर से तारीख तय की जाएगी। शंभूराज देसाई और चंद्रकांत पाटिल को मध्यवर्ती महाराष्ट्र एकीकरण समिति की ओर से बेलगावी में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाना था। देसाई ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने अपना कार्यक्रम रद्द नहीं किया है बल्कि आज डॉक्टर अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है, हम नहीं चाहते थे कि बेलगावी में कोई अप्रिय घटना हो इसलिए आज का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की ओर से कर्नाटक सरकार को आधिकारिक रूप से बता दिया गया था कि सरकार के मंत्री बेलगावी में मराठी भाषी लोगों से मिलेंगे और उनकी बातों को समझने की कोशिश करेंगे।
उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक सरकार ने उनकी यात्रा को दूसरा रंग दे दिया। उन्होंने कहा कि आजाद भारत में कोई भी कहीं भी जा सकता है और महाराष्ट्र के प्रतिनिधि के तौर पर वहां जा रहे थे।
पिछले हफ्ते कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर कहा था कि राज्य सरकार के मंत्री बेलगावी में ना आएं। बेलगावी में पुलिस को भी अलर्ट पर रखा गया था।
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विपक्ष ने उठाए सवाल
मंत्रियों का दौरा रद्द होने को लेकर महाराष्ट्र में भी राजनीति तेज है और विपक्षी दलों ने बेलगावी जाने के कार्यक्रम को रद्द करने पर सरकार की निंदा की है। एनसीपी के नेता अजित पवार ने कहा है कि राज्य सरकार के मंत्रियों को बेलगावी जाने की नई तारीख के बारे में बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्य का मुख्यमंत्री महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों को अल्टीमेटम दे रहा है कि वह उनके राज्य में ना आए और महाराष्ट्र सुन रहा है जबकि यह सभी लोग एक ही पार्टी के हैं।
बताना होगा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार है।
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा था कि महाराष्ट्र का लगातार अपमान किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक महाराष्ट्र के कई शहरों पर दावा कर रहा है और यह सवाल उठ रहा है कि महाराष्ट्र में क्या कोई सरकार है या नहीं।
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धैर्य की परीक्षा न लें: पवार
एनसीपी मुखिया शरद पवार ने कहा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बात करने के बाद भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने इस मामले में नरम रुख नहीं दिखाया है। उन्होंने कहा कि किसी को भी महाराष्ट्र के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए और चीजें गलत दिशा में नहीं जानी चाहिए।
कॉलेज में छात्र की पिटाई
कुछ दिन पहले बेलगावी के एक कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में एक छात्र को पीट दिया गया था। इसका एक वीडियो सामने आया था जिसमें दिख रहा था कि कार्यक्रम के दौरान एक छात्र ने कर्नाटक के पारंपरिक ध्वज को लहराया तो महाराष्ट्र के छात्र उस पर भड़क गए और उन्होंने उस छात्र की जमकर पिटाई कर दी।
तेज हुआ विवाद
बता दें कि बीते दिनों एक बार फिर यह विवाद तेज हुआ है। कुछ दिन पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने महाराष्ट्र के सांगली जिले में पड़ने वाले कुछ गांवों में जल संकट को देखते हुए इनके कर्नाटक में विलय का प्रस्ताव पास किया था। इस पर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान आया था कि महाराष्ट्र के किसी भी सीमावर्ती गांव के किसी दूसरे राज्य के साथ जाने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।
पुराना है विवाद
बता दें कि 1947 से पहले महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य अलग नहीं थे। तब बॉम्बे प्रेसीडेंसी और मैसूर स्टेट हुआ करते थे। आज के कर्नाटक के कई इलाक़े उस समय बॉम्बे प्रेसीडेंसी में थे। आज के बीजापुर, बेलगावी (पुराना नाम बेलगाम), धारवाड़ और उत्तर कन्नड़ जिले बॉम्बे प्रेसीडेंसी में ही थे।
बॉम्बे प्रेसीडेंसी में मराठी, गुजराती और कन्नड़ भाषाएं बोलने वाले लोग रहा करते थे। आज़ादी के बाद भाषा के आधार पर राज्यों का बंटवारा शुरू हुआ। बेलगाम में मराठी बोलने वालों की संख्या कन्नड़ बोलने वालों की संख्या से ज्यादा थी। लेकिन बेलगाम नगरीय निकाय ने 1948 में माँग की कि इसे मराठी बहुल होने के चलते प्रस्तावित महाराष्ट्र राज्य का हिस्सा बनाया जाए।
1983 में बेलगाम में पहली बार नगर निकाय के चुनाव हुए। इन चुनावों में महाराष्ट्र एकीकरण समिति के प्रभाव वाले उम्मीदवार ज्यादा संख्या में जीतकर आए।
नगर निकाय और 250 से ज़्यादा मराठी बहुल गांवों ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा कि उन्हें महाराष्ट्र में मिला लिया जाए। इसके विरोध में 1986 में कर्नाटक में कई जगह हिंसा हुई, जिनमें 9 लोग मारे गए थे।
बेलगाम के लोगों ने मांग की थी कि उन्हें सरकारी आदेश मराठी भाषा में दिए जाएं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और विवाद चलता रहा और मामला अदालतों तक पहुंच गया।
बीजेपी के लिए यह मुद्दा इसलिए मुश्किल भरा है क्योंकि दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और इसे लेकर उसके नेता आमने-सामने हैं।
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