भारत जोड़ो यात्रा तमिलनाडु से चलकर राजस्थान पहुँची ही है कि कांग्रेस ने लोगों को जोड़ने के लिए एक और अभियान शुरू करने की योजना बना ली है। भारत जोड़ो यात्रा को अभी जम्मू कश्मीर को पहुँचना बाक़ी ही है। समझा जाता है कि 26 दिसंबर को श्रीनगर में इस यात्रा का समापन होगा और इस दिन राहुल गांधी गणतंत्र दिवस के अवसर पर तिरंगा झंडा फहरा सकते हैं। इसी 26 जनवरी से कांग्रेस 'हाथ से हाथ जोड़ो अभियान' शुरू करेगी। तो आख़िर इस अभियान का असर क्या होगा? क्या भारत जोड़ो यात्रा की तरह असर होगा? यदि इस तरह के असर की आस नहीं होगी तो फिर इसका मक़सद क्या है?
इन सवालों के जवाब से पहले यह जान लें कि पार्टी का यह अभियान आख़िर है क्या।
कांग्रेस ने कहा है कि देश भर में ‘हाथ से हाथ जोड़ो अभियान' शुरू करेगी जिसके तहत ब्लॉक, पंचायत और बूथ स्तर पर जनसंपर्क किया जाएगा। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि दो महीने तक यह अभियान चलेगा। इस अभियान में राहुल गांधी का पत्र भी लोगों को सौंपा जाएगा, जिसमें यात्रा का संदेश होगा तथा उसके साथ नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ 'आरोप पत्र' भी संलग्न होगा।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के तहत तीन स्तरीय कार्यक्रम होगा। ब्लॉक और बूथ के स्तर पर यात्राएँ होंगी, जिला स्तर पर अधिवेशन होंगे तथा राज्य के स्तर पर रैलियाँ होंगी।
रिपोर्ट के अनुसार पार्टी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और दूसरे नेता ‘हाथ से हाथ जोड़ो अभियान’ से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होंगे। कुछ रिपोर्टों में तो कहा जा रहा है कि इसका नेतृत्व प्रियंका गांधी कर सकती हैं।
कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का भी जोर जनसंपर्क पर है। उन्होंने तो इसी के तहत कार्यकर्ताओं और नेतृत्व के बीच की दूरी को ख़त्म करने की कोशिश शुरू करने की योजना बनाई है।
पिछले महीने एक रिपोर्ट आई थी कि खड़गे हर महीने में हर दूसरे सोमवार को पार्टी मुख्यालय में सामान्य नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात करेंगे। कुछ साल पहले कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी ने भी पार्टी दफ्तर में सामान्य नेताओं से मिलना शुरू किया था, लेकिन यह सिलसिला कुछ हफ्ते में ही बंद हो गया था। लेकिन अब लगता है कि पार्टी का पूरा जोर जनसंपर्क पर है। यह भारत जोड़ो यात्रा से भी दिखता है और प्रस्तावित 'हाथ से हाथ जोड़ो अभियान' में भी दिखता है।
समझा जाता है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के नये अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी के जनसंपर्क अभियान में तेजी आई है। वैसे खड़गे ने पार्टी में बदलाव करने भी शुरू किए हैं। उन्होंने सोमवार देर शाम को छत्तीसगढ़, राजस्थान और हरियाणा के लिए नए प्रभारियों की नियुक्ति की है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्टीयरिंग कमेटी की बैठक के बाद पहला बड़ा फैसला लिया है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहले ही सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस बात के संकेत दिए थे कि संगठन में कुछ बड़े बदलाव हो सकते हैं। स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में उन्होंने कहा था कि जवाबदेही से भागने वाले नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। उन्होंने युवा नेताओं को ज़िम्मेदारी देने के संकेत दिए थे। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में बदलाव का असर अब संगठन पर दिखने लगा है।
कांग्रेस का 3 दिवसीय अधिवेशन अगले साल फरवरी महीने के दूसरे पखवाड़े में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में होगा। उसमें अध्यक्ष के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे के निर्वाचन पर मुहर लगेगी। साथ ही नई कार्य समिति के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी। खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार संचालन समिति की बैठक हुई। पिछले महीने पार्टी अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद खड़गे ने पार्टी के शीर्ष निकाय कांग्रेस कार्यसमिति के स्थान पर संचालन समिति का गठन किया था।
अपनी राय बतायें