हालांकि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने कल ही खंडन कर दिया था कि उनमें से किसी ने भी जेडीएस से समर्थन के लिए संपर्क किया है। हालांकि एनडीटीवी से तनवीर अहमद ने कहा था,'हां, दोनों (भाजपा और कांग्रेस) ने हमसे संपर्क करने की कोशिश की है... जेडीएस आज ऐसी स्थिति में है कि पार्टियां हमसे संपर्क करना चाहेंगी। यह पूछे जाने पर कि पार्टी कितनी सीटों पर जीतेगी, अहमद ने कहा, 'हमारे बिना कोई भी सरकार नहीं बना सकता है। मुझे लगता है कि यह एक अच्छी संख्या है। बहरहाल, अब यह बयान इतिहास में खो गया है।
आज जब रुझान आना शुरू हुए तो जेडीएस नेता कुमारस्वामी फौरन बंगलुरु में एक स्थानीय मंदिर में गए। उस समय जब पत्रकारों ने उनकी प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उन्होंने किनारा करना चाहा लेकिन यह जरूर कहा कि हमसे किसी ने संपर्क नहीं किया है। शायद कुमारस्वामी के पास रुझान की सूचना पुख्ता थी। जेडीएस ने 2018 के मुकाबले इस बार बहुत बुरा प्रदर्शन किया है। रुझान बता रहे हैं कि उसका 37 सीटों तक भी पहुंचना नामुमकिन है।
रुझान पूरी तरह से कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनवा रहे हैं। दक्षिणी राज्य में सत्ता में वापसी की भाजपा की उम्मीदें तो खैर धूल चाट गई हैं लेकिन किंगमेकर की भूमिका निभाने की जेडीएस की उम्मीदें भी धराशायी हो गई हैं।
कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा के लिए 224 सदस्य चुनने के लिए मतदान हुआ था। 2018 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 104 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने 80 सीटों पर जीत हासिल की। जेडीएस 37 सीटों पर विजयी हुई थी।
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