कर्नाटक के शिवमोगा में सावरकर के पोस्टर को लेकर विवाद के बाद अब तुमकुरु शहर में सावरकर के पोस्टर को कुछ लोगों ने फाड़ दिया। इस पर विवाद होने की आशंका है। इससे पहले कर्नाटक के शिवमोगा में ऐसा ही विवाद हुआ था और इसके बाद हिंसा हुई थी।
तुमकुरु शहर में लोगों के एक समूह द्वारा सावरकर की तसवीर वाले बैनर को जो फाड़ने का मामला आया है उसको एम्प्रेस कॉलेज के सामने लगाया गया था। इसे स्वतंत्रता दिवस समारोह के हिस्से के रूप में लगाया गया था।
सावरकर की छवि वाले बैनर को लेकर शिवमोगा में सांप्रदायिक तनाव हो गया है। क्षेत्र में कर्फ्यू लगाया गया है। स्वतंत्रता दिवस पर अमीर अहमद सर्कल में सावरकर के पोस्टर लगाए जाने को लेकर चाकूबाजी की घटना हुई। कर्नाटक पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
रिपोर्टों के अनुसार, एक समूह द्वारा कथित तौर पर सावरकर का एक पोस्टर हटाने और टीपू सुल्तान का पोस्टर लगाने के बाद इलाक़े में सांप्रदायिक झड़प शुरू हो गई। शिवमोगा के जिला कलेक्टर आर सेल्वामणि ने मंगलवार को शहर और भद्रावती शहर की सीमा में स्कूल और कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि इन दोनों जगहों पर 18 अगस्त तक निषेधाज्ञा लागू रहेगी। उन्होंने कहा कि स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है।
कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने इंडिया टुडे से कहा था, 'मुझे बताया गया है कि शिवमोगा में चाकू मारने की एक घटना हुई है। ऐसा लगता है कि यह सावरकर की तस्वीर के मुद्दे के बारे में है। लेकिन अभी तक पूरी जानकारी नहीं मिली है।' सोमवार को हिंदू समर्थक कार्यकर्ताओं ने सावरकर के फ्लेक्स को हटाने की मांग करने वाले कुछ मुस्लिम युवकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
टीपू सुल्तान को लेकर भी दक्षिणपंथी संगठन मुद्दा उठाते रहे हैं। बीजेपी भी टीपू सुल्तान का मुद्दा उठाती रही है।
राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने 2019 में माध्यमिक स्कूलों के इतिहास की किताब से टीपू सुल्तान के पाठ को हटाने की बात की थी तो इस पर काफी विवाद हुआ था। कर्नाटक में सत्ता में आने के तुरंत बाद बीजेपी सरकार ने टीपू सुल्तान की जयंती समारोह को ख़त्म कर दिया था। यह एक वार्षिक सरकारी कार्यक्रम था जिसको सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान शुरू किया गया था। इसका 2015 से ही बीजेपी विरोध कर रही थी।
टीपू सुल्तान को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का दुश्मन माना जाता था। श्रीरंगपटना में अपने क़िले का बचाव करते समय ब्रिटिश सेना से लड़ाई के दौरान मई, 1799 में उनकी हत्या कर दी गई थी।
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