कर्नाटक में बीजेपी प्रत्याशियों के चयन में हुई राजनीति की आग अभी तक धधक रही है। कोई पक्ष चयन प्रक्रिया से खुश नहीं है। आरएसएस की ओर से बीजेपी के अंदर संगठन का काम देखने वाले पावरफुल बीएल संतोष ने टिकटों में अपनी चलाने की कोशिश की तो कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा नाराज हो गए और जब येदियुरप्पा को मनाया गया तो संतोष की न सुने जाने पर संघ ने बीजेपी नेतृत्व से असंतोष जताया। लेकिन इस खेल में बीजेपी को खासा नुकसान उठाना पड़ा। उसके कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर चले गए।
बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी के लिए पहली बड़ी शर्मिंदगी तब हुई जब पार्टी चुनाव समिति की पहली बैठक के बाद भी कर्नाटक के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करने में नाकाम रही। इस वजह से प्रत्याशियों की अंतिम लिस्ट घोषित आने में तीन दिन और लग गए। अंतिम लिस्ट वही थी, जिसमें कर्नाटक के उस पूर्व अधिकारी का नाम था, जिस पर चार हजार करोड़ के घोटाले में शामिल होने का आरोप था।
येदियुरप्पा को गुस्सा क्यों आया
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक बीजेपी चुनाव समिति की पहली ही बैठक में नाराज येदियुरप्पा ने कहा कि उनकी उपस्थिति की कोई आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि हर सीट पर पार्टी महासचिव बीएल संतोष की पसंद-पसंद नापसंद के हिसाब से फैसला लिया जा रहा है। जबकि प्रक्रिया यह होती रही है कि एक सीट के लिए तीन नामों पर विचार होता है, जिस पर चुनाव समिति की आम राय बनती है, उस टिकट दे दिया जाता है। लेकिन यहां तो तीन दावेदारों में से चुनने की सामान्य प्रथा के बजाय, कई सीटों पर सिर्फ एक ही नाम था। और वो नाम भी पार्टी के पावरफुल महासचिव (संगठन) बी एल संतोष की और से पेश किया जा रहा था।
सूत्रों का कहना है कि येदियुरप्पा ने समिति और पार्टी आलाकमान को सुझाव दिया कि उम्मीदवारों के चयन के लिए ज्यादातर सीट पर संतोष द्वारा पेश किए गए सर्वेक्षण संदिग्ध थे और संगठन सचिव ने अपने गैर राजनीतिक चापलूसों पर जोर दिया था। यहीं पर कर्नाटक के पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार के नाम पर रस्साकशी हुई। शेट्टार का नाम बीएल संतोष ने ही काटा था। जबकि येदियुरप्पा चाहते थे कि पार्टी शेट्टार को टिकट दे। लेकिन संतोष के सामने येदियुरप्पा की एक भी नहीं चली। शेट्टार अब कांग्रेस में हैं और लिंगायतों को कांग्रेस के लिए एकजुट कर रहे हैं। उन्होंने इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। बीएल संतोष ने शेट्टार का टिकट क्यों काटा, इसकी वाजिब वजह आज तक येदियुरप्पा को नहीं बताई गई।
येदि की बेबसी
सूत्रों का कहना है कि जब शेट्टार का टिकट कट गया तो येदियुरप्पा ने चेतावनी दी कि फिलहाल राज्य में बीजेपी मजबूत विकेट पर बैटिंग नहीं कर रही है और अगर उम्मीदवारों की मूल सूची में कोई बदलाव नहीं होता है, तो पार्टी को एक तरह से बुरी हार का सामना करना पड़ सकता है। पूर्व सीएम येदियुरप्पा ने कह दिया कि वो इस तरह की चुनावी हार से नहीं जुड़ना पसंद करेंगे। बताते हैं कि उसी दिन उन्हें दिल्ली के एक लोकप्रिय दक्षिण भारतीय रेस्तरां में अकेले खाना खाते देखा गया।
मोदी ने जब हालात संभालेः बीजेपी सूत्रों का कहना है कि येदियुरप्पा के तर्कों को पीएम मोदी ने महत्व दिया। अंतिम सूची पीएम मोदी की सलाह से बनी। उन्होंने येदियुरप्पा के तर्कों के आधार पर चयन के लिए सुझाव दिए। बताते हैं कि अगले तीन दिनों तक पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा और कर्नाटक के नेताओं के साथ गहन चर्चा हुई। इस दौरान बीएल संतोष और येदियुरप्पा को एक बार भी एकसाथ उस कमरे में नहीं बुलाया गया, जहां बैठक हो रही थी। उसके बाद साफ हो गया कि संतोष द्वारा सुझाए गए कई नाम काट दिए गए और येदियुरप्पा वाले कई नामों को टिकट मिला। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद आरएसएस के एक नेता ने बीजेपी आलाकमान को बीएल संतोष का अपमान करने के लिए फटकार लगाई, जो पार्टी में आरएसएस के प्रतिनिधि हैं।
जाति आधारित नेताओं का महत्व
सूत्रों का कहना है कि तमाम नेता कह रहे हैं कि पार्टी को निरंकुशता के साथ नहीं चलाया जा सकता। बीएल संतोष यही कर रहे हैं। जबकि व्यावहारिक मोदी की नजर 2024 चुनाव पर है। मोदी को पता है कि अगर उन्हें 2024 में कर्नाटक में अच्छा प्रदर्शन करना है, तो जाति-आधारित नेताओं की मदद लेनी पड़ेगी। पूरी तरह से संघ के वैचारिक विचारों और व्यक्तिगत पसंद-नापसंद के आधार पर न प्रत्याशी चुने जा सकते हैं और पार्टी चलाई जा सकती है। नाम न छापने की शर्त पर बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि कर्नाटक गुजरात नहीं है, जहां तमाम पुराने विधायकों के टिकट काट दिए गए थे और नए लोगों को मैदान में उतारा गया था। इसके बावजूद बीजेपी गुजरात में जीती। कर्नाटक में काफी उम्मीदवार बीएल संतोष के जरिए टिकट ले गए हैं लेकिन इस चयन का खामियाजा पार्टी को भुगतना ही होगा।
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