धार्मिक पहचान के नाम पर पिटाई का एक मामला कर्नाटक के बेलगावी में आया है। अंतर-धार्मिक रिश्तेदार युवक-युवतियों को एक समूह ने मोरल पुलिसिंग के नाम पर पाइप और छड़ों से बेरहमी से पिटाई कर दी। वे दोनों तब बच पाए जब उन दोनों के परिवार वाले पहुँचे। इस मामले में पुलिस में एफ़आईआर दर्ज की गई है और कम से कम नौ लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। कहा जा रहा है कि दोनों को गलती से 'जोड़ा' समझ लिया गया जबकि वे दोनों अंतर-धार्मिक चचेरे भाई-बहन हैं।
यह घटना तीन दिन पहले की है। शनिवार को एक झील के पास एक साथ बैठने पर 17 लोगों के एक समूह ने दो समुदायों के एक पुरुष और महिला को पाइप और छड़ों से बेरहमी से पीटा। रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित अंतर-धार्मिक चचेरे भाई-बहन हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार महिला के माता-पिता अलग-अलग धर्म के हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार दोनों राज्य सरकार की योजना के लिए आवेदन करने के लिए एक साथ निकले थे।
रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित शनिवार दोपहर करीब डेढ़ बजे बेलगावी में किला झील के पास बैठे थे, तभी करीब आठ लोगों का एक समूह उनके पास आया और उनका नाम पूछने लगा। पुलिस ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि वे अलग-अलग धर्मों से हैं, तो उन्होंने उससे सवाल करना शुरू कर दिया कि वह महिला के बगल में क्यों बैठा था। शिकायत के मुताबिक, गुंडों ने उस व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार किया और उसका गला घोंटने की भी कोशिश की।
शिकायत के अनुसार, इसके बाद समूह में और भी लोग शामिल हो गए और वे दोनों को एक कमरे में ले गए और उस व्यक्ति को घंटों तक बेरहमी से पीटा। कहा गया है कि उन्होंने शाम साढ़े छह बजे तक उसकी पिटाई की। पुलिस सूत्रों के मुताबिक महिला पर भी हमला किया गया। व्यक्ति ने आरोप लगाया कि भीड़ ने उनके मोबाइल फोन छीन लिए और उनसे नकदी भी लूट ली।
पुलिस ने कहा कि आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय से थे और उनमें से नौ को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि उनमें से दो किशोर हैं। चूंकि वह व्यक्ति अनुसूचित जाति समुदाय से था, इसलिए अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कर्नाटक में मौजूदा कांग्रेस की सरकार है और इससे पहले बीजेपी की सरकार थी। बीजेपी की सरकार के दौरान ऐसे मोरल पुलिसिंग के मामले आने पर कांग्रेस हमलावर रहती थी। वह आरोप लगाती रही थी कि ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं होने से दक्षिणपंथी विचार वाले लोगों के मंसूबे बढ़े होते हैं।
इस ताज़ा मामले में राज्य के राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं जिन्होंने ऐसी घटनाओं को सामाजिक मसला कहा है। कर्नाटक के गृहमंत्री जी. परमेश्वर ने एनडीटीवी से कहा, 'मुझे बताया गया कि वे रिश्तेदार थे और वे बस बैठे थे और बातचीत कर रहे थे कि अचानक यह समूह उनके पास आया। पुलिस ने पहले ही कुछ गिरफ्तारियां की हैं। हम इन्हें मामले-दर-मामले संभालते हैं। ये चीजें हमेशा नहीं होती हैं। पुलिस उसी अनुसार कार्रवाई करती है।'
अंतर-धार्मिक जोड़ों के विरोध के मुद्दे को लेकर उन्होंने कहा, 'यह एक सामाजिक समस्या है। बसवन्ना (12वीं सदी के कवि और दार्शनिक) ने अंतर-सामुदायिक विवाह की वकालत की थी क्योंकि वह एक जाति-रहित समाज चाहते थे। एक सामाजिक समस्या के रूप में इसे धीरे-धीरे हल करना होगा।' भाजपा के सीएन अश्वथ नारायण ने कहा कि जनता को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा, 'अगर किसी को किसी की मंशा पर कोई संदेह है, तो उन्हें संबंधित अधिकारियों को फोन करना चाहिए और अधिकारियों से पूछताछ करनी चाहिए। लोगों को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। इसका खामियाजा निर्दोष लोगों को भुगतना पड़ता है।'
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