कथित लव जिहाद को लेकर क़ानून लाने की तैयारी कर रही कर्नाटक सरकार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने क़ानून लाने से पहले ही झटका दे दिया है। मुसलिम लड़के से शादी करने को लेकर एक लड़की के मामले में दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने साफ़ कहा कि, ‘किसी भी वयस्क व्यक्ति के लिए अपनी पसंद की शादी करना, संविधान में दिए गये मौलिक अधिकार के अंतर्गत है’।
'लव जिहाद' पर कर्नाटक सरकार को हाईकोर्ट से झटका!
- कर्नाटक
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- 1 Dec, 2020

कथित लव जिहाद को लेकर क़ानून लाने की तैयारी कर रही कर्नाटक सरकार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने झटका दे दिया है। इसने कहा कि किसी भी वयस्क व्यक्ति के लिए अपनी पसंद की शादी करना, संविधान में दिए गये मौलिक अधिकार के अंतर्गत है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के ‘लव जिहाद’ पर आये फ़ैसले के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट का यह फ़ैसला लव जिहाद पर हो रही राजनीति और लव जिहाद पर लाये जाने वाले क़ानूनों के अंतर को साफ़ करता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो बार सिंगल बेंच ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन को ग़ैर क़ानूनी क़रार दिया था लेकिन हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दोनों सिंगल बेंच के आदेशों को पलटते हुए साफ़ कहा था कि, ‘किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का मौलिक अधिकार है। महज अलग-अलग धर्म या जाति का होने की वजह से किसी को साथ रहने या शादी करने से नहीं रोका जा सकता है। दो बालिग लोगों के रिश्ते को सिर्फ़ हिन्दू या मुसलमान मानकर नहीं देखा जा सकता’। हालाँकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के कथित लव जिहाद पर इस टिप्पणी के बावजूद यूपी की योगी सरकार ने अध्यादेश लाकर कथित लव जिहाद को आपराधिक क़ानून में बदल दिया जिसमें 1 से 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान भी कर दिया गया।