loader

'लव जिहाद' पर कर्नाटक सरकार को हाईकोर्ट से झटका!

कथित लव जिहाद को लेकर क़ानून लाने की तैयारी कर रही कर्नाटक सरकार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने क़ानून लाने से पहले ही झटका दे दिया है। मुसलिम लड़के से शादी करने को लेकर एक लड़की के मामले में दाखिल याचिका का निपटारा करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने साफ़ कहा कि, ‘किसी भी वयस्क व्यक्ति के लिए अपनी पसंद की शादी करना, संविधान में दिए गये मौलिक अधिकार के अंतर्गत है’।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के ‘लव जिहाद’ पर आये फ़ैसले के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट का यह फ़ैसला लव जिहाद पर हो रही राजनीति और लव जिहाद पर लाये जाने वाले क़ानूनों के अंतर को साफ़ करता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो बार सिंगल बेंच ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन को ग़ैर क़ानूनी क़रार दिया था लेकिन हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दोनों सिंगल बेंच के आदेशों को पलटते हुए साफ़ कहा था कि, ‘किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का मौलिक अधिकार है। महज अलग-अलग धर्म या जाति का होने की वजह से किसी को साथ रहने या शादी करने से नहीं रोका जा सकता है। दो बालिग लोगों के रिश्ते को सिर्फ़ हिन्दू या मुसलमान मानकर नहीं देखा जा सकता’। हालाँकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के कथित लव जिहाद पर इस टिप्पणी के बावजूद यूपी की योगी सरकार ने अध्यादेश लाकर कथित लव जिहाद को आपराधिक क़ानून में बदल दिया जिसमें 1 से 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान भी कर दिया गया। 

ख़ास ख़बरें

पसंद की शादी मौलिक अधिकार

कर्नाटक हाईकोर्ट के सामने एक मुसलिम लड़के वाजिद ख़ान ने बंदी प्रत्यक्षीकरण यानी हैबियस कार्पस रिट दाख़िल करते हुए अपनी प्रेमिका राम्या को रिलीज करने की माँग की थी। प्रेमिका राम्या को जब पुलिस ने अदालत में पेश किया तो उसने अदालत को बताया कि वह महिला दक्षता समिति, विद्यारण्यपुरा में रह रही है और उसे जबरन उसके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। राम्या ने अदालत को बताया कि उसके माता-पिता वाजिद ख़ान से शादी करने का विरोध कर रहे हैं जबकि वाजिद की माँ इस शादी के लिए तैयार हैं। अदालत ने राम्या के मामले में याचिका की सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि राम्या एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, वो अपना भला-बुरा सोचने और समझने के काबिल है। इसलिए राम्या को महिला दक्षता समिति से तुरन्त रिलीज किया जाए।

हाईकोर्ट ने कथित लव जिहाद के चलते लड़की पर पड़ रहे दबाव पर अपना फ़ैसला देते हुए कहा कि, 

‘अपनी मनपसंद की शादी करने के लिए दो वयस्क व्यक्तियों को संवैधानिक व्यवस्था के तहत मौलिक अधिकार मिला हुआ है, धर्म या जाति के आधार पर वयस्क कपल को मिली इस स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।


कर्नाटक हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी

इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने साफ़ कहा है कि, ‘अपनी पसंद के जीवन साथी के साथ शादी करने वालों के रिश्ते पर एतराज जताने और विरोध करने का हक न तो उनके परिवार को है और न ही किसी व्यक्ति या सरकार को। अगर राज्य या परिवार उन्हें शांतिपूर्वक जीवन में खलल पैदा कर रहा है तो वो उनकी निजता के अधिकार का अतिक्रमण है।’

हाईकोर्ट ने कहा कि एतराज और विरोध करने वालों की नज़र में कोई हिन्दू या मुसलमान हो सकता है। लेकिन क़ानून की नज़र में अर्जी दाखिल करने वाले प्रेमी युगल सिर्फ़ बालिग जोड़े हैं और शादी के पवित्र बंधन में बंधने के बाद पति-पत्नी के तौर पर साथ रह रहे हैं। कोर्ट ने धर्म बदलने वाली प्रियंका उर्फ़ आलिया के पिता की तरफ़ से पति सलामत अंसारी के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को रद्द कर दिया था।

फ़ैसले के बाद भी क़ानून बनाया

हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद भी यूपी सरकार के लाये गये क़ानून में कहा गया है कि विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 साल के कारावास और जुर्माने की सज़ा का प्रावधान है।

इसके अलावा इस क़ानून के मुताबिक़, धर्म परिवर्तन के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी और यह बताना होगा कि धर्म परिवर्तन जबरन, दबाव डालकर, लालच देकर या किसी तरह के छल कपट से नहीं किया जा रहा है। अनुमति से पहले 2 महीने का नोटिस देना होगा। ऐसा न करने पर 6 महीने से 3 साल तक की सज़ा होगी, वहीं कम से कम 10 हज़ार का जुर्माना भी देना होगा। अगर कोई सिर्फ़ लड़की के धर्म परिवर्तन के लिए उसे शादी करेगा तो वह शादी शून्य मानी जाएगी, यानी उसे अमान्य माना जाएगा।

karnataka hc says right to marry of choice is a fundamental right - Satya Hindi

योगी सरकार ने कथित लव जिहाद के लिए लाये गये कानून उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 के लिए विधानसभा सत्र का भी इंतज़ार नहीं किया और वह अध्यादेश ले आई। यूपी की राज्यपाल आंनदी बेन पटेल ने इस अध्यादेश को मंजूरी भी दे दी है जिसके बाद पूरे यूपी में क़ानून लागू हो गया है। 6 महीने में यूपी सरकार को दोनों सदनों से यह अध्यादेश पास कराना होगा। क़ानून लागू होने के साथ ही यूपी के बरेली ज़िले में एक युवती के पिता की शिकायत के आधार पर राज्य में धर्मांतरण प्रतिषेध क़ानून के तहत पहला मामला भी दर्ज किया गया है। मामला बरेली ज़िले के देवरनिया थाने में दर्ज किया गया।

सदन में होगा विरोध?

बसपा प्रमुख मायावती ने योगी सरकार को जहाँ इस क़ानून पर पुनर्विचार की सलाह दी है वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस क़ानून का पुरजोर विरोध किया है। 

अखिलेश यादव ने कहा, ‘सरकार एक तरफ़ अंतरजातीय व अंतरधार्मिक शादियों पर 50 हज़ार रुपए प्रोत्साहन राशि दे रही है, तो दूसरी ओर इसे रोकने के लिए क़ानून ला रही है। सरकार के लोगों को संविधान का अनुच्छेद 21 पढ़ना चाहिए। सपा ऐसे किसी भी क़ानून के पक्ष में नहीं है।’

कांग्रेस की तरफ़ से वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि इस अध्यादेश में सभी धर्मान्तरण, यहाँ तक कि विवाह की जाँच और प्रमाणित किए जाने का प्रावधान है, जो कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन और असंवैधानिक है।

लव जिहाद पर कानून ला चुके या क़ानून लाने की कार्यवाही कर रहे राज्यों में अब मध्य प्रदेश, यूपी, हरियाणा, असम, कर्नाटक राज्य शामिल हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विप्लव अवस्थी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

कर्नाटक से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें