बीजेपी की कर्नाटक चुनाव के लिए दूसरी लिस्ट में एक नाम है एलसी नागराज। नागराज कर्नाटक प्रशासनिक सेवा (केएएस) के पूर्व अधिकारी हैं। तुमकुरु से बीजेपी टिकट पाने से पहले ही वो चर्चा में हैं। एलसी नागराज 4,000 करोड़ रुपये के आईएमए घोटाले के आरोपी हैं। सीबीआई की चार्जशीट में बीजेपी के इस प्रत्याशी पर इस घोटाले का आरोप भी लग चुका है। बीजेपी ने उन्हें टिकट देने का कोई आधार नहीं बताया है। लेकिन कांग्रेस को बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया है। एलसी नागराज का टिकट पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के उन बयानों के विपरीत है, जिसमें उन्होंने केंद्र से लेकर कर्नाटक तक ईमानदार सरकार होने का दावा किया है। देश में इस समय कई नेता जेलों में हैं। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। लेकिन खुद बीजेपी ने अब करप्शन के आरोपी को चुनाव मैदान में उतार दिया है।
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नागराज ने अभी पिछले महीने ही सरकारी सर्विस से इस्तीफा दिया था। जांच लंबित होने के बावजूद कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने उन्हें क्लियर किया यानी नौकरी छोड़ने की एनओसी दे दी और अब बीजेपी प्रत्याशियों की सूची में नागराज का नाम सामने आया है। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे लोगों की फाइल कैसे आनन-फानन में मंजूर होती है, कर्नाटक में नागराज का मामला सबसे बेहतरीन उदाहरण है। जहां डबल इंजन की सरकार काम कर रही है।
तुमकुरु जेडीएस का गढ़ है। जद (एस) के मौजूदा विधायक एम वी वीरभद्रैया ने 2018 में कांग्रेस के के एन राजन्ना को हराया था। लेकिन इस बार नागराज को किस्मत आजमाने बीजेपी ने भेज दिया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 4000 करोड़ के जिस घोटाले के आरोप में नागराज घिरे हैं, वो आईएमए या आई मॉनेटरी एडवाइजरी, बेंगलुरु की एक निवेश फर्म का है। आईएमए पर आरोप है कि उसने नियमित निवेश योजनाओं की तुलना में जनता से अधिक लाभांश का आश्वासन देकर हजारों करोड़ रुपये वसूले। 2019 में, जब कंपनी पैसे वापस करने में नाकाम रही, और उसके दप्तर बंद हो गए। 41,000 से अधिक निवेशकों ने शिकायत दर्ज कराई और एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया। एलसी नागराज, उस समय बेंगलुरु नॉर्थ सहायक आयुक्त पद पर थे। नागराज पर आईएमए समूह के संस्थापक मोहम्मद मंसूर खान को एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) देने के लिए रिश्वत में 4.5 करोड़ रुपये लेने का आरोप लगा था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
भाजपा ने खुद आरोप लगाए थेः इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस योजना में पैसा गंवाने वालों में अधिकांश मुसलमान थे। उस समय बीजेपी ने आरोप लगाया था कि बी जेड जमीर अहमद खान सहित कई कांग्रेसी नेता घोटाले में शामिल थे और जद (एस) द्वारा उनका बचाव किया जा रहा था। उस समय सत्ता में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार थी। मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया था, जिसने अपनी चार्जशीट में नागराज पर 4.5 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था।
नागराज जब सरकारी सेवा में थे, तब उन्हें रियल एस्टेट कारोबारी के रूप में भी जाना जाता था। नवंबर 2021 में, राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने नागराज के ठिकानों पर छापा मारा। बाद में उन्होंने मामले को रद्द करने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि आईएमए मामले में उनका मुकदमा अभी भी एक स्थानीय अदालत में लंबित है।
आईएमए घोटाले की प्रारंभिक जांच राज्य एसीबी द्वारा की गई थी और इसकी अध्यक्षता आईपीएस अधिकारी एस गिरीश ने की थी, जो के एन राजन्ना के दामाद हैं, जो 2018 में मधुगिरी से हारने वाले कांग्रेस उम्मीदवार थे। कांग्रेस ने राजन्ना को इस बार फिर से टिकट दिया है।
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