सामूहिक बलात्कार और रोंगटे खड़े कर देने वाला यह मामला तब आया है जब उन्नाव दुष्कर्म की पीड़िता पर हमले को लेकर देश भर में हंगामा मचा है। रविवार को एक कार दुर्घटना के बाद पीड़िता वेंटिलेटर पर है। दुर्घटना कराने का आरोप बलात्कार के आरोपी विधायक कुलदीम सेंगर पर लगा है। घटना के बाद से पीड़िता का परिवार तबाह हो गया है और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा है।
उन्नाव मामले के बाद झारखंड के जमशेदपुर में तीन साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार की यह घटना देश को शर्मसार करने वाली है। पिछले शुक्रवार को जमशेदपुर के टाटानगर रेलवे स्टेशन पर बच्ची अपनी माँ के बगल में सो रही थी तभी वह लापता हो गई थी। सीसीटीवी फुटेज में टी-शर्ट और शॉर्ट्स में एक व्यक्ति सोए हुए बच्चे को उठाकर ले जाते हुए दिखा।
बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले में तीन लोगों, रिंकू साहू, कैलाश और मोनू मंडल का हाथ है, लेकिन बलात्कार करने का आरोप दो लोगों, रिंकू और कैलाश पर है।
एक आरोपी की माँ कांस्टेबल, दूसरे के पिता सुरक्षा बल में
रिंकू साहू 2015 में एक बच्चे का अपहरण करने और उसकी हत्या का प्रयास करने के मामले में हाल ही में जेल से बाहर आया था। माना जा रहा है कि सीसीटीवी फुटेज में रिंकू अपनी बाँहों में सोए हुए बच्चे को लेकर जाता दिख रहा है। ‘एनडीटीवी’ की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस का कहना है कि रिंकू साहू एक आदतन अपराधी है। उसकी माँ एक कांस्टेबल है। तीन बच्चों का पिता रिंकू ने कथित तौर पर पहले कई बच्चों का अपहरण और उन पर हमला किया था। कैलाश के सुरक्षा बल में जवान हैं और वह जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं।
बच्ची की माँ का आरोप
बच्ची की माँ ने इस घटना में अपने साथी पर ही संदेह जताया है। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि घटना के दिन यानी शुक्रवार को जब बच्ची की माँ की नींद खुली तो उसको बच्ची नहीं दिखी। वह बदहवाश पुलिस के पास गई। महिला ने पुलिस को बताया कि उसे अपने उस साथी पर शक है जिसके लिए उसने अपने पति को छोड़ा था और जिसके साथ वह बंगाल के पुरुलिया से यात्रा की थी। प्लेटफ़ॉर्म पर मोनू मंडल साथ था और वह तीन गिरफ्तार लोगों में से एक है। मामले में बाल तस्करी के ऐंगल से भी जाँच की जा रही है।
ऐसे मामले हर रोज़ देश के किसी न किसी कोने से आते रहे हैं लेकिन मामला हाई प्रोफ़ाइल नहीं होने के कारण सुर्खियाँ नहीं बन पातीं और शायद पुलिस कार्रवाई और जाँच भी उस तरह की नहीं हो पाती है। हालाँकि बलात्कार और हत्या के कुछ दुर्लभ मामलों में कार्रवाई हो जाती है, लेकिन आरोपियों के दबंग होने पर ऐसी स्थिति नहीं दिखती है। भले ही बीजेपी जब तब यह दावे करती रही हो कि रेप के आरोपियों को 3 दिन से लेकर एक सप्ताह और एक महीने में मौत की सज़ा तक दिलाने का प्रावधान किया है, लेकिन रेप के मामले कम होते नहीं दिख रहे हैं। क्या जमशेदपुर की जो बच्ची दुष्कर्मियों की शिकार हुई है उसकी माँ को न्याय समय पर मिल सकेगा?
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