मॉब लिंचिग के लिए बदनाम हो चुके झारखंड में एक बार फिर दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। ख़बरों के मुताबिक़, राज्य के गुमला जिले में 10-12 लोगों ने काला जादू करने के शक में तीन परिवारों के चार लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। अभियुक्तों ने इन लोगों को घर से बाहर खींचा और उसके बाद उन्हें बुरी तरह पीटा। सिसाई थाना क्षेत्र में यह घटना शनिवार को हुई है।
Jharkhand: 4 persons killed allegedly by 10-12 unidentified miscreants in Gumla. Anjani Kumar Jha, SP Gumla, says, “Prima facie, it appears the victims were involved in witchcraft. Crime seems to have happened because of superstitious beliefs. Investigation underway.” (20.07.19) pic.twitter.com/L5RyrwWIkH
— ANI (@ANI) July 21, 2019
गुमला के एसपी अंजनी कुमार झा ने बताया कि अभियुक्तों ने लाठी और रॉड से इन लोगों की पीट-पीटकर हत्या की है। उन्होंने बताया कि शुरुआती जाँच में यह लग रहा है कि मारे गए लोग जादू-टोना करते थे और यह घटना अंधविश्वास के कारणों के चलते हुई है। घटना के बाद इलाक़े में तनाव का माहौल है और लोग बुरी तरह डरे हुए हैं। मारे गए लोगों की पहचान भगत (65), फगनी देवी (60), चंपा भगत (65) और पेटी भगत (60) के रूप में हुई है। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। ख़बरों के मुताबिक़, घटना के बाद अभियुक्त गाँव छोड़ कर भाग गए हैं। पुलिस ग्राम प्रधान और अन्य ग्रामीणों से पूछताछ कर रही है।
बता दें कि झारखंड में पिछले कुछ सालों में मॉब लिंचिंग की कई घटनाएँ हुई हैं। पिछले महीने बाइक चोरी के शक में 24 साल के युवक तबरेज अंसारी को भीड़ ने रात भर पीटा था और कुछ ही दिन बाद उसकी मौत हो गई थी। भीड़ ने उसे ‘जय हनुमान’ का नारा लगाने के लिए भी कहा था।
झारखंड में मार्च 2016 में लातेहार ज़िले में मॉब लिंचिंग की पहली घटना सामने आई थी। तब भीड़ ने पशु व्यापारी मजलूम अंसारी और उनके 12 साल के सहयोगी इम्तियाज ख़ान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। भीड़ ने हत्या करने के बाद उनकी लाशों को एक पेड़ से लटका दिया था।
इसके बाद जून 2017 में भीड़ ने अलीमुद्दीन अंसारी नामक एक मांस व्यापारी को बेरहमी से पीटा था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। भीड़ को शक था कि वह गाय का मांस ले जा रहे थे। मार्च 2019 में पलामू ज़िले के हैदरनगर थाना क्षेत्र में कुछ लोगों ने कथित तौर पर स्थानीय युवकों वकील ख़ान और दानिश ख़ान की बहन से छेड़छाड़ की थी। जिसका दोनों ने विरोध किया था। इसके बाद भीड़ ने उन्हें जमकर मारा था जिसमें वकील ख़ान की मौत हो गई थी। इसके अलावा भी झारखंड में कई और मामले हैं जिनमें उन्मादी भीड़ ने सिर्फ़ शक के आधार पर कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
वेबसाइट फ़ैक्टचेकर.इन के मुताबिक़, पिछले कुछ सालों में भीड़ प्रायोजित हिंसा की घटनाएँ बढ़ी हैं और इनमें से अधिकांश घटनाओं में निशाने पर अल्पसंख्यक रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक़, पिछले दशक में देश भर में ऐसी 297 घटनाएँ हुई थीं। इनमें 98 लोग मारे गए थे और 722 लोग घायल हुए थे। 2015 के बाद, पशु चोरी या पशु तस्करी को लेकर भीड़ के द्वारा हमले करने की 121 घटनाएँ हो चुकी हैं, जबकि 2012 से 2014 के बीच ऐसी कुल 6 घटनाएँ हुई थीं।
अगर 2009 से 2019 के बीच हुई ऐसी घटनाओं को देखें तो 59 फ़ीसदी मामलों में हिंसा का शिकार होने वाले मुसलिम थे और इसमें से 28% घटनाएँ पशु चोरी और पशुओं की तस्करी से संबंधित थीं। आंकड़े यह भी बताते हैं कि ऐसी 66% घटनाएँ बीजेपी शासित राज्यों में हुईं जबकि 16% घटनाएँ कांग्रेस शासित राज्यों में।
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