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झारखंड में विपक्षी दलों का महागठबंधन तय, बीजेपी के लिए चुनौती

लोकसभा चुनाव में ज़बर्दस्त हार के बाद हाल ही में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में बढ़िया प्रदर्शन से उत्साहित विपक्षी दलों के बीच अब झारखंड में महागठबंधन बनना तय हो गया है। राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी झामुमो, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद के बीच एक फ़ॉर्मूले पर सहमति बन गई है। माना जा रहा है कि इसकी घोषणा आज की जाएगी। महागठबंधन से बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है।

चुनाव से पहले विपक्षी दलों के बीच यह एक अहम फ़ैसला है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में क़रारी हार के बाद गठबंधन पर ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया जा रहा था। लोकसभा चुनाव के दौरान राजद और कांग्रेस के गठबंधन ने बिहार में बहुत ख़राब प्रदर्शन किया था। लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी और मायावती की बसपा बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर पाई थीं। इसके बाद दोनों पार्टियाँ अलग हो गई थीं। दूसरे राज्यों में भी विपक्षी दलों के गठबंधन कुछ ख़ास नहीं कर पाए थे। 

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गठबंधन को लेकर इसलिए भी संशय था क्योंकि लोकसभा चुनाव में ज़बर्दस्त हार के बाद कांग्रेस मानो कोमा में चली गई थी! राहुल गाँधी ‘कोपभवन’ में चले गए थे। अध्यक्ष पद छोड़ दिया था। पार्टी कार्यकर्ताओं में सन्नाटा पसरा था। पहले से ही पार्टी छोड़कर जा रहे नेताओं में भगदड़-सी मच गई थी। हालाँकि, महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ कांग्रेस ने गठबंधन किया था, लेकिन और कहीं दूसरे दलों के साथ गठबंधन को लेकर ज़्यादा सुगबुगाहट नहीं थी। लेकिन अब महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद कांग्रेस अचानक ऊर्जावान दिखने लगी है। इन चुनावों में कांग्रेस का अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन रहा। वह भी तब जब दोनों राज्यों में पार्टी आख़िरी क्षण तक अंदरूनी क़लह से जूझ रही थी और चुनाव-प्रचार भी उस तरह से नहीं कर पाई थी।

झारखंड में महागठबंधन को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, झारखंड में झामुमो, कांग्रेस और राजद के बीच सीटों के बँटवारे का आधार 2014 के विधानसभा चुनाव में दलों के प्रदर्शन को बनाया गया है। माना जा रहा है कि 81 सदस्यीय विधानसभा वाले इस राज्य में झामुमो गठबंधन में बड़ा साझीदार होगा और उसके 50 प्रतिशत से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है। कांग्रेस को 25-30 सीटें दी जा सकती हैं। दूसरी सीटों पर जिस पार्टी की ज़्यादा मज़बूती होगी वही पार्टी उस सीट से चुनाव लड़ेगी, ऐसा समझौता होना बताया जा रहा है। लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही फ़ॉर्मूला आजमाया गया था।

अब कितनी सीटों पर कौन-सी पार्टी चुनाव लड़ती है, यह तो औपचारिक घोषणा के बाद भी पता चलेगा, लेकिन सीटों का बँटवारा इतना आसान भी नहीं है। गठबंधन में अक्सर पार्टियाँ ज़्यादा से ज़्यादा सीटें अपने पाले में करना चाहती हैं। 

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राज्य में सरकार चला रही बीजेपी और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के बीच भी सीटों के बँटवारे को लेकर उलझनें हैं। आजसू और बीजेपी के बीच नए समीकरण के तहत सीटों के बँटवारे का समझौता कैसे होगा, इस पर प्रश्नचिह्न लगा हुआ है। हालाँकि झारखंड में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा किया हो। इस बात को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री रघुबर दास उत्साहित हैं और वह 65 से ज़्यादा सीटें जीतने का दावा ठोक रहे हैं।

बता दें कि झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीख़ों का एलान कर दिया गया है। झारखंड में पाँच चरणों में विधानसभा के चुनाव होंगे।  झारखंड में पहले चरण का मतदान 30 नवंबर को होगा। 7 दिसंबर को दूसरे, 12 दिसंबर को तीसरे चरण के तहत वोटिंग होगी। वहीं, चौथे चरण की वोटिंग 16 दिसंबर को जबकि 20 दिसंबर को पाँचवें चरण की वोटिंग होगी। चुनाव के नतीजे 23 दिसंबर को आएँगे। इसी दिन पता चलेगा कि महागठबंधन बीजेपी वाले गठबंधन को कितनी बड़ी चुनौती पेश कर पाता है।

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अमित कुमार सिंह
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