2014 में हुए विधानसभा के चुनाव में एनडीए को 42 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसमें बीजेपी को 37 और आजसू को 5 सीटों पर जीत मिली थी। विपक्षी दलों को 39 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसमें जेएमएम को 19, जेवीएम को 8, कांग्रेस को 6 और अन्य को 6 सीटें मिली थी। झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं।
आजसू ने बढ़ाई मुश्किल
झारखंड में बीजेपी की मुश्किलें सरकार में सहयोगी रही ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के उसका साथ छोड़ने से बढ़ गई हैं और इसलिए इस बार उसके लिए लड़ाई बेहद कड़ी मानी जा रही है। लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद बीजेपी को उम्मीद थी कि वह झारखंड का चुनाव आसानी से जीत लेगी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी-आजसू को 12 सीटों पर जीत मिली थी। इसलिए उसने ‘मिशन 65 प्लस’ की रणनीति बनाई थी। लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में मनमुताबिक़ सफलता न मिलने और आजसू के चुनाव के मौक़े पर झटका देने से बीजेपी के लिए मुक़ाबला बेहद कड़ा हो गया है।
कड़े मुक़ाबले में फंसे रघुबर दास
दूसरे चरण में कुल 260 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। मुख्यमंत्री रघुबर दास से लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा सहित कई मंत्रियों की सीटों पर भी इस चरण में मतदान हो रहा है। कांग्रेस से बग़ावत करने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू भी आजसू के टिकट पर घाटशिला सीट से किस्मत आजमा रहे हैं।
सबसे हाई प्रोफ़ाइल सीट जमशेदपुर पूर्वी है। यहाँ से मुख्यमंत्री रघुबर दास के ख़िलाफ़ उनकी ही सरकार में मंत्री रहे सरयू राय निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि कांग्रेस की ओर से गौरव वल्लभ और जेवीएम से अभय सिंह उन्हें चुनौती दे रहे हैं। रघुबर दास चौतरफ़ा घिर चुके हैं और यह सीट जीतना उनके लिए बहुत मुश्किल लग रहा है।
ये बड़े चेहरे भी हैं मैदान में
विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव सिसई से और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा चक्रधरपुर सीट से चुनाव मैदान में हैं। राज्य सरकार में मंत्री नीलकंठ मुंडा और रामचंद्र सहिस भी चुनाव मैदान में हैं। मांडर से झारखंड विकास मोर्चा के उम्मीदवार बंधु तिर्की, तमाड़ से विकास मुंडा, कोलेबरा सीट से पूर्व मंत्री एनोस एक्का की बेटी आइरिन एक्का सीट से चुनाव मैदान में हैं। जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू मझगांव विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं।
मोदी, शाह कर रहे ताबड़तोड़ रैलियां
महाराष्ट्र और हरियाणा में जैसी जीत की उम्मीद बीजेपी कर रही थी, वैसी उसे नहीं मिली। महाराष्ट्र में तो वह सरकार ही नहीं बना सकी और हरियाणा में वह दावे कर रही थी कि 90 में से 75 सीटें जीतेगी लेकिन जीत सकी सिर्फ़ 40 सीटें। इसलिए उसे जननायक जनता पार्टी को सरकार में हिस्सेदारी देनी पड़ी। इसलिए बीजेपी पर झारखंड का चुनाव जीतने के लिए दबाव बढ़ गया है और पिछले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य में जमकर चुनावी रैलियां की हैं। अभी तीन चरणों का मतदान और होना है और ये नेता अभी राज्य में और रैलियां करेंगे।
बीजेपी ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को मुद्दा बनाया है। मोदी से लेकर सभी बड़े नेता चुनावी रैलियों में इसका जिक्र कर रहे हैं। दूसरी ओर, अमित शाह अपनी हर चुनावी रैली में यह बात ज़रूर दोहराते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार पूरे देश में एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन) लागू करेगी और घुसपैठियों को चुन-चुन कर बाहर करेगी। इसके अलावा शाह अपनी रैलियों में राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का जिक्र भी करते हैं और यह बताने की कोशिश करते हैं कि उनकी सरकार ने इस मुद्दे पर जल्द सुनवाई की कोशिश की और तभी कोर्ट का फ़ैसला आ सका।
विपक्ष ने भी लगाया पूरा जोर
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने विधानसभा चुनाव में गठबंधन बनाया है और ये दल पूरी ताक़त के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरे चरण में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी चुनावी रैलियां की हैं और राज्य में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन की सरकार बनाने की अपील की है। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन भी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा गठबंधन में शामिल नहीं हुई है लेकिन वह भी राज्य की कई सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ रही है।
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