अवैध खनन के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गुरूवार को जांच एजेंसी ईडी के सामने पेश हुए हैं। सोरेन ने ईडी के सामने पेशी से पहले कहा कि ईडी की ओर से 1000 करोड़ के घोटाले का जिक्र किया गया है लेकिन यह किस आधार पर किया गया है, यह समझ से परे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जांच एजेंसियों को पूरी जांच पड़ताल करने के बाद ही कोई ठोस आरोप लगाना चाहिए।
सोरेन ने कहा कि जिस तरह समन की कार्रवाई चल रही है, उससे ऐसा लगता है कि जैसे वह देश छोड़कर भागने वाले हों। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई से राज्य में संशय की स्थिति पैदा होती है। उन्होंने बीजेपी पर हमला बोला और कहा कि उनके खिलाफ की जा रही साजिशें कभी सफल नहीं होंगी।
ईडी के सामने हेमंत सोरेन की पेशी को देखते हुए राज्य में सरकार चला रहे यूपीए गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के नेताओं ने लगातार कई बैठकें की हैं जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अलग से भी बैठक की है।
हेमंत सरकार में झामुमो, कांग्रेस और आरजेडी शामिल हैं।
सोरेन ने कुछ दिन पहले ईडी से अनुरोध किया था कि उनकी पेशी की तारीख को बदल दिया जाए लेकिन ईडी ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। ईडी ने 3 नवंबर को हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन सोरेन जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए थे। उसके बाद सोरेन ने जांच एजेंसी को पत्र लिखकर 3 हफ्ते का वक्त मांगा था।
सोरेन ने कुछ दिन पहले झामुमो के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर हम जेल भरने का अभियान शुरू कर देंगे तो इतने लोग निकलेंगे कि जेल में जगह ही नहीं बचेगी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार कभी सीबीआई का बहाना बनाती है, कभी ईडी का बहाना बनाती है।
क्या है मामला?
हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए जून 2021 में अपने ही नाम खदान का पट्टा आवंटित कर लिया था। इसके खिलाफ बीजेपी नेता रघुवर दास व बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल से शिकायत की थी और कहा था कि इसमें ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बनता है। बीजेपी ने मांग की थी कि मुख्यमंत्री को अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए और भारत के संविधान के अनुच्छेद 191 (e) और रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल्स एक्ट की धारा 9ए का हवाला दिया था।बीजेपी की शिकायत पर राज्यपाल रमेश बैंस ने इस मामले को चुनाव आयोग को भेज दिया था। चुनाव आयोग ने राज्य सरकार से इस मामले में विस्तृत ब्यौरा मांगा था और राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा था। चुनाव आयोग ने खनन लाइसेंस से संबंधित दस्तावेजों के प्रमाणीकरण के अलावा लीज के नियमों और शर्तों का विवरण मांगा था।
विधानसभा से सदस्यता पर संशय
बताना होगा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा से सदस्यता के मामले में अभी तक राज्यपाल ने चुनाव आयोग के द्वारा भेजी गई रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है, जिसे लेकर राज्य में असमंजस वाले हालात बने हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने खनन मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दोषी ठहराते हुए विधानसभा से उनकी अयोग्यता की सिफारिश की है। इसका मतलब यह है कि राज्यपाल द्वारा अयोग्यता के संबंध में नोटिफिकेशन जारी करने के बाद सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।
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ईडी का शिकंजा
ईडी ने इस साल जुलाई में हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को गिरफ्तार किया था और लगभग 12 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी। ईडी ने झारखंड में कई जगहों पर छापेमारी कर कई अहम दस्तावेज और 5 करोड़ रुपए बरामद किए थे।
ईडी ने अगस्त के महीने में अवैध खनन के मामले में प्रेम प्रकाश नाम के शख्स को गिरफ्तार किया था। प्रेम प्रकाश को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बेहद करीबी बताया जाता है। ईडी ने प्रेम प्रकाश के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का भी मुकदमा दर्ज किया था।
ईडी ने अवैध खनन के मामले में झारखंड, बिहार, तमिलनाडु और दिल्ली-एनसीआर में 16 जगहों पर छापेमारी की थी। अवैध खनन के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ईडी के रडार पर हैं।
खनन मामले में जांच एजेंसी ईडी के द्वारा समन किए जाने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनौती दी थी कि अगर वह दोषी हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जाए। झारखंड में कई जगहों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने जांच एजेंसी ईडी के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
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