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सोरेन-शाह मिले; झारखंड में महाराष्ट्र दोहराने के कयास क्यों?

महाराष्ट्र में अभी राजनीतिक सरगर्मियाँ कम भी नहीं हुई हैं कि झारखंड को लेकर अब कयास लगाए जाने लगे हैं। राजनीतिक हलकों में यह सुगबुगाहट ऐसे नहीं है, बल्कि इसके पीछे भी कुछ वजह है।

दरअसल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ सोमवार को बैठक हुई थी। सोरेन बीजेपी द्वारा ही उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों को लेकर चुनाव आयोग के सामने पेश होने आए थे। बीजेपी ने हेमंत सोरेन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री व खनन मंत्री रहते हुए 0.88 एकड़ जमीन रांची के अनगढ़ा ब्लॉक के प्लॉट नंबर 482 को खुद को आवंटित कर लिया। इसके खिलाफ बीजेपी नेता रघुवर दास व बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल से शिकायत की थी। इसी सिलसिले में चुनाव आयोग को जवाब देने आए सोरेन ने अमित शाह से मुलाक़ात की। सोरेन ने इसको शिष्टाचार भेंट बताया।

यह मुलाक़ात ऐसे समय पर हुई है जब झामुमो इस बात को लेकर असमंजस में है कि क्या उसे बीजेपी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का समर्थन करना चाहिए? इसके अलावा मीडिया में कुछ इस तरह की रिपोर्टें भी हैं कि राज्य में कांग्रेस के साथ उसके गठबंधन में दरार आ गई लगती है।

झारखंड में सोरेन की पार्टी झामुमो के साथ गठबंधन में कांग्रेस सहयोगी है। लेकिन हाल में ऐसी ख़बरें आती रही हैं कि झामुमो-कांग्रेस गठबंधन में पहले से ही दरारें हैं। सोरेन ने पिछले महीने राज्यसभा सीट के लिए अपने सहयोगी की मांग को खारिज कर दिया था। झामुमो ने इसके बजाय अपना खुद का उम्मीदवार महुआ माजी को मैदान में उतारा।

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जब गठबंधन में ऐसे मनमुटाव की ख़बरें आ रही थीं तभी हेमंत सोरेन के ख़िलाफ़ बीजेपी की ओर से शिकायत की गई। इसके ख़िलाफ़ बीजेपी नेता रघुवर दास व बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल से शिकायत की थी। हालाँकि, झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का बचाव किया है।

इस पर सोरेन को चुनाव आयोग ने मई महीने में नोटिस भेजा था। आयोग ने उनसे पूछा था कि उनके ख़िलाफ़ लगे आरोपों के मामले में क्यों ना उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए।

अब जबकि पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में शिवसेना के बाग़ियों के कारण उथल-पुथल मची है और उद्धव ठाकरे सरकार गिर भी गई, झारखंड में राजनीतिक हालात को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं। बीजेपी के कई नेताओं ने तो अब यह बयानबाज़ी भी शुरू कर दी है कि महाराष्ट्र के बाद दूसरे राज्यों की बारी आएगी। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि एक बार जब पार्टी महाराष्ट्र को जीत लेगी तो ध्यान पूरी तरह से झारखंड पर केंद्रित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में पार्टी नेतृत्व से कहा गया है कि वह सरकार की विफलताओं को 'आक्रामक रूप से' उजागर करे।

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रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'हमारे पास लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए केवल दो साल बचे हैं, इसलिए हम खुद कोई क़दम उठाने के बजाय, अपने आप सामने आने वाली चीजों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इस मामले में सोरेन को ही तय करना होगा कि क्या करना है। भ्रष्टाचार के आरोपों ने आदिवासियों के बीच उनकी छवि को ही नुकसान पहुंचाया है। गठबंधन भी अस्थिर दिखता है।' 

रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राज्य में कई कांग्रेस सदस्य झामुमो से अलग होना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'कई कांग्रेस विधायक हैं जो गठबंधन और झामुमो के साथ हुए सौदे से नाखुश हैं। राज्यसभा में गड़बड़ी के बाद हालात बद से बदतर हो गए और कांग्रेस के कई नेता गठबंधन तोड़ने और झामुमो को बाहरी समर्थन देने के पक्ष में हैं।'

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क़मर वहीद नक़वी
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