जम्मू कश्मीर के पुंछ में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए हैं। गुरुवार शाम को मुठभेड़ शुरू हुई थी। शुक्रवार को तलाशी अभियान तेज़ किया गया है। सुरक्षा के लिहाज से सरकार ने पुंछ-जम्मू हाईवे को बंद कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट है कि जवानों के शव को वापस लाने के लिए सेना ने अभियान छेड़ा है। समझा जाता है कि आतंकवादी जंगलों में छुप गए हैं और वहीं से जब तब उन्होंने फ़ायरिंग की है। इस वजह से आतंकवादियों के ख़िलाफ़ अभियान में मुश्किल हो रही है।
इसी हफ़्ते सोमवार को आतंकवादियों से मुठभेड़ में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी यानी जेसीओ और चार अन्य सैनिक शहीद हो गए थे। इस तरह इस हफ़्ते ही सात जवान शहीद हो चुके हैं।
अब रिपोर्ट है कि भारतीय सेना के जवान गुरुवार की कार्रवाई में शहीद हुए दो जवानों के शवों को वापस लाने के लिए पुंछ ज़िले के जंगल की ओर सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि दोनों शवों को जंगल से वापस लाने का अभियान आज सुबह शुरू किया गया। सूत्रों ने कहा कि हो सकता है कि आतंकवादियों ने दो-तीन महीने पहले अपने ठिकाने बना लिए हों और वे इलाक़े व जंगल से अच्छी तरह वाक़िफ़ हों।
इससे पहले सोमवार को डेरा की गली के एक जंगल क्षेत्र में भीषण मुठभेड़ तब हुई थी जब सेना आतंकवाद विरोधी अभियान चला रही थी। इसी दौरान छिपे हुए आतंकवादियों ने तलाशी दलों पर भारी गोलीबारी शुरू कर दी थी। इस कारण एक जूनियर कमीशंड अधिकारी यानी जेसीओ और चार अन्य सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बाद में उनकी मौत हो गई थी। फिर जवानों ने भी जवाबी गोलीबारी की थी।
अधिकारियों ने कहा था कि नियंत्रण रेखा यानी एलओसी के पार से घुसने में कामयाब होने के बाद चमरेर जंगल में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के एक समूह की मौजूदगी के बारे में ख़बरें थीं।
बता दें कि हाल के दिनों में उरी हमले की पाँचवीं बरसी पर 18 सितंबर को जम्मू कश्मीर में सीमा पार से बड़ी घुसपैठ हुई थी। कहा गया कि हाल के वर्षों में आतंकवादियों का यह सबसे बड़ा घुसपैठ का प्रयास है। 2016 में उस दो आत्मघाती हमलों में 19 जवान शहीद हुए थे। उस हमले के बाद भारत ने सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक की थी और कई आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया था।
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