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धरने पर बैठे उमर अब्दुल्ला, बोले- 2022 का स्वागत है

जम्मू-कश्मीर में पुलिस ने राज्य के बड़े नेताओं को एक विरोध मार्च निकालने से पहले ही नज़रबंद कर दिया है। यह विरोध मार्च गुपकार गठबंधन के नेताओं की ओर से परिसीमन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ निकाला जाना था। 

हिरासत का विरोध करते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नए साल में भी जम्मू-कश्मीर की पुलिस लोगों को अवैध रूप से उनके घरों में बंद कर रही है और प्रशासन सामान्य लोकतांत्रिक गतिविधियों से भी डरा हुआ है। 

उमर अब्दुल्ला ने फोटो ट्वीट करके कहा है कि उनके घर के गेट के बाहर ट्रक खड़े कर दिए गए हैं और वे इसके खिलाफ धरना दे रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं। 

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सीपीआई के वरिष्ठ नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि जम्मू और कश्मीर का प्रशासन एक शांतिपूर्ण विरोध से भी डर गया है। उन्होंने कहा कि लोगों को जनता के सामने अपनी बातों को रखने की भी इजाजत नहीं दी जा रही है। 

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के घर के बाहर भी एक ट्रक खड़ा कर दिया गया है उन्हें भी नजरबंद या हिरासत में रखा गया है। गुपकार गठबंधन ने कहा था कि उसके नेता शनिवार को श्रीनगर में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ विरोध मार्च निकालेंगे। 

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परिसीमन आयोग की सिफारिशों में कहा गया है कि राज्य के जम्मू इलाके में 6 सीटें बढ़ेंगी जबकि कश्मीर में 1 सीट बढ़ेगी। इसके बाद जम्मू में 43 सीटें हो जाएंगी जबकि कश्मीर में 47। इसको लेकर गुपकार गठबंधन के नेताओं ने पहले भी विरोध जताया था। 

5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया था और इसके बाद फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कई बड़े नेताओं को लंबे वक्त तक नजरबंद रखा गया था। 

कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं को दिल्ली बुलाकर उनसे बातचीत की थी। इसके बाद यह माना गया था कि राज्य में जल्द ही विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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