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कांग्रेस आलाकमान से असंतुष्ट चल रहे नेताओं की बयानबाज़ी के ख़िलाफ़ अब पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरने लगे हैं। असंतुष्ट नेताओं के इस गुट को G23 का नाम दिया गया है और इसमें ग़ुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मनीष तिवारी से लेकर कई अनुभवी नेता शामिल हैं।
मंगलवार को जम्मू में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ग़ुलाम नबी आज़ाद के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया, जमकर नारेबाज़ी की और उनका पुतला फूंका। आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने कहा कि आज़ाद को कांग्रेस ने सब कुछ दिया लेकिन आज जब कांग्रेस को उनकी ज़रूरत है तो वे जम्मू में कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि आज़ाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ की जबकि प्रधानमंत्री ने उनके पूर्ण राज्य का दर्जा छीन लिया है। उन्होंने कहा कि आज़ाद बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मांग की कि वे आज़ाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई करें।
कांग्रेस में कुछ वैसे ही हालात बनते दिखाई दे रहे हैं, जैसे पिछले साल इन G23 के नेताओं के एक पत्र के सामने आने के बाद दिखाई दिए थे। इस पत्र के सामने आने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जमकर हंगामा हुआ था और तब भी ग़ुलाम नबी आज़ाद के ख़िलाफ़ पार्टी के कई नेताओं ने आवाज़ उठाई थी। उत्तर प्रदेश में तो कई नेताओं ने आज़ाद पर गंभीर आरोप लगाए थे। इसके अलावा जितिन प्रसाद को भी कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा था।
G23 के एक नेता आनंद शर्मा की ओर से पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में इंडियन सेक्युलर फ़्रंट (आईएसएफ़) के कांग्रेस-लेफ़्ट फ्रंट के गठबंधन में शामिल होने का जोरदार विरोध किया गया है। आनंद शर्मा ने इस मामले में पार्टी को निशाने पर ले लिया है।
आनंद शर्मा के यह कहने पर कि आईएसएफ़ जैसे दलों के साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के ख़िलाफ़ है और इन मुद्दों पर कांग्रेस कार्य समिति में चर्चा होनी चाहिए थी, पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने उन पर हमला बोला था।
अधीर ने कहा था कि सीपीएम के नेतृत्व वाले गठबंधन को सांप्रदायिक कहकर आप सिर्फ़ बीजेपी के ध्रुवीकरण के एजेंडे का समर्थन कर रहे हैं। अधीर ने कहा कि वे लोग जो बीजेपी की ज़हरीली सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ लड़ना चाहते हैं, वे कांग्रेस के लिए पांच राज्यों में चुनाव प्रचार करें न कि बीजेपी के सुर में सुर मिलाकर पार्टी को कमज़ोर करने की कोशिश करें।
उन्होंने ग़ुलाम नबी आज़ाद के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल में की गई तारीफ़ को लेकर उन्हें निशाने पर लिया और कहा कि ऐसे लोग व्यक्तिगत हित वाले मुद्दों से ऊपर उठें और प्रधानमंत्री की तारीफ़ में समय जाया न करें।
बीते दिनों जम्मू में हुए शांति सम्मेलन में G23 गुट के नेताओं ने इशारों-इशारों में कांग्रेस आलाकमान पर हमला बोला था। G23 गुट के नेताओं ने शांति सम्मेलन के जरिये पार्टी नेतृत्व को संदेश दिया था कि वे ग़ुलाम नबी आज़ाद के साथ खड़े हैं और कांग्रेस की मज़बूती के लिए काम करेंगे।
ऐसे वक़्त में जब पांच राज्यों की चुनाव तारीख़ों का एलान हो चुका है और राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुनावी राज्यों के दौरे पर हैं, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बयानबाज़ी और कार्यकर्ताओं का अपने ही नेताओं के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरने से कांग्रेस के भीतर घमसान बढ़ सकता है।
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