जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुई हत्याओं के बाद सुरक्षा बलों ने हरक़त में आते हुए 700 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया है। बीते कुछ दिनों में कश्मीर में सात लोगों की हत्या हुई है, जिनमें हिंदू, सिख और मुसलमान शामिल थे। इस घटना के बाद से ही ऐसी ख़बरें आई हैं कि कश्मीरी पंडित एक बार फिर घाटी से पलायन कर रहे हैं। इससे पहले 1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ था।
हिरासत में लिए गए लोगों में से कई लोग ऐसे हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि इनका संबंध प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इसलामी से है या ये श्रीनगर, बड़गाम के इलाक़ों से दक्षिण कश्मीर में आकर अंडरग्राउंड वर्कर्स के रूप में संदिग्ध रूप से काम कर रहे हैं।
बताना होगा कि बीते सप्ताह श्रीनगर में मेडिकल स्टोर चलाने वाले माखन लाल बिंदरू को उनकी दुकान में गोली मार दी गई थी। बिंदरू 1990 में जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था और हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडितों ने पलायन किया था, उसके बाद भी वहीं डटे हुए थे।
इसके बाद आतंकवादियों ने दो अलग-अलग वारदातों में तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इनमें से एक बिहार के भागलपुर के रहने वाले वीरेंद्र पासवान भी थे।
इसके दो दिन बाद ईदगाह इलाक़े में दो स्कूली शिक्षकों को गोली मार दी गई थी। इनमें से एक हिंदू शिक्षक और एक सिख महिला शिक्षिका थी।
एक वरिष्ठ अफ़सर ने एनडीटीवी को बताया कि इन लोगों को कश्मीर में हो रहे हमलों को रोकने के लिए हिरासत में लिया गया है।
सुरक्षा देने की मांग
हाल में हुई इन हत्याओं के बाद देश के कई इलाक़ों में प्रदर्शन हुए हैं और घाटी में हिंदू और सिखों को सुरक्षा देने की मांग की जा रही है। शिव सेना ने बीजेपी पर हमला बोला था और पूछा था कि वह कश्मीर में क्या कर रही है।
गुरूवार को नेशनल कॉन्फ्रेन्स के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्लाह ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा था कि निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की थी कि वे घाटी का दौरा करें और यहां रहने वालों को भरोसा दिलाएं।
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