12 अगस्त का दिन। बक़रीद का दिन। पूरे देश में मुसलिम समाज इस त्योहार को धूमधाम से मनायेगा। बकरों की बलि दी जायेगी। नये कपड़े पहने जायेंगे। सेवइंया भी बनायी जायेगी। लेकिन कश्मीर में क्या होगा? वहाँ कर्फ़्यू के हालात है। पिछले एक हफ़्ते से लोगों की आवाजाही पर पाबंदी है। टेलीफ़ोन, मोबाइल और इंटरनेट ठप्प हैं। बकरों की बिक्री नहीं के बराबर है। ऐसे में बक़रीद सूखी है। हालाँकि सरकार का दावा है कि त्योहार मनाने के लिये सुविधायें उपलब्ध करायी गयी है। सरकार ने रविवार को दावा किया कि बैंक, एटीएम, कई बाज़ार खुले हुये थे ताकि लोग त्योहार के लिये ज़रूरी सामान की ख़रीददारी कर सके।
बक़रीद के दिन बकरों का बडा महत्व होता है। उनकी बलि दी जाती है। सरकार की तरफ से यह कहा गया कि घाटी में ढाई लाख बकरों को उपलब्ध कराया गया है ताकि लोग परंपरागत ढंग से त्यौहार मना सके। इस वास्ते श्रीनगर में छह बकरों की मंडियों को खोला गया। लेकिन कितनों ने बकरे ख़रीदे होंगे, कहना मुश्किल है। मीडिया की ख़बरों के मुताबिक़ बकरों की बिक्री काफी कम हुयी है। और बकरे बेचनेवालों का धंधा चौपट हो गया है।
सरकार की तरफ़ से यह भी दावा किया गया है कि घ- घर सब्ज़ी, अंडे, गैस सिलेंडर और ज़रूरत की दूसरी चीज़ों की सप्लाई के लिये पुख़्ता इंतज़ाम किये गये है। सरकार यह भी दावा कर रही है कि लोगों को तक़लीफ़ न हो इसलिये 3557 राशन घाट खोले गये हैं। तीन सौ से ज्यादा टेलीफ़ोन बूथ भी जगह-जगह लगाये गये हैं ताकि लोग अपनों से बात कर सके। इसी तरह जम्मू-कश्मीर के बाहर रहने वाले कश्मीरी लोगों को प्रदेश के अपने घरवालों से बातचीत क़राने के लिये भी इंतज़ाम करने के दावे किये गये हैं।
लेकिन सरकार के दावों पर उस वक़्त पानी फिर गया जब फिर से लोगों के इक्ठ्टा होने पर पाबंदी लगा दी गयी। एनडीटीवी के मुताबिक़, देर शाम घाटी में पुलिस गाड़ियाँ यह ऐलान करती पायी गयी कि लोग अपने घरों में रहे और सड़कों पर न निकले। दुकानदारों से कहा गया कि वे अपनी दुकान बंद करें। क्या जुमे के दिन हुये प्रदर्शन पर मीडिया की ख़बरों का ये नतीजा है? पहले यह दावा किया गया था कि लोग पूरी तैयारी से बक़रीद मना सके ऐसे, इंतज़ाम किये जायेंगे। खुद प्रधानमंत्री ने भी राष्ट्र के नाम अपने संदेश में इस ओर इशारा किया था। पर अब लगता नहीं कि ऐसा हो पायेगा।
बक़रीद में लोग एक दूसरे के घर आते-जाते हैं, अपने घर दावत पर बुलाते हैं। अगर धारा 144 लगी रही तो फिर कौन घर से बाहर निकलने की हिम्मत करेगा, और क्यों करेगा। पाँच अगस्त को मोदी सरकार ने अचानक अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रकिया शुरू की। और साथ ही पूरे प्रदेश को दो हिस्सों मे बाँट दिया। जम्मू और कश्मीर को पूर्ण राज्य की जगह केंद्र शासित राज्य बना दिया गया। विधानसभा तो पहले की तरह होगी लेकिन उसके अधिकार सीमित कर दिये गये है। जैसे दिल्ली और पुडुचेरी केंद्र शासित राज्य तो हैं लेकिन पूर्ण राज्य नहीं। अब सरकार के नये आदेश के बाद जम्मू कश्मीर सरकार काफी कमजोर हो जायेगी और केंद्र सरकार की तलवार हमेशा उस पर लटका करेगी।
सरकार के नये आदेश के मुताबिक़ पुलिस और कानून व्यवस्था केंद्र सरकार के अधीन होगा। पहले पुलिस राज्य सरकार के पास थी। यानी केंद्र सरकार सीधे कानून व्यवस्था पर नज़र रख सके और ज़रूरत पड़ने पर फ़ौरन कार्रवाई कर सके। हालाँकि ज़मीन पर जम्मू सरकार का ही अधिकार होगा। दिल्ली में ज़मीन भी केंद्र के अधीन हैं। यह कानून 31 अक्टूबर से लागू होगा। राज्यपाल की जगह उपराज्यपाल कश्मीर में नियुक्त होंगे।
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