राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने रविवार को जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी कार्यकर्ताओं के कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की है। ये छापे राज्य में आतंकी गतिविधियों, उनके कथित समर्थन और फंडिंग की जाँच के मामले में मारे गए। रिपोर्ट है कि इस प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़े कई वरिष्ठ सदस्यों के परिसरों में भी कार्रवाई की गई।
यह छापेमारी एनआईए द्वारा अलगाववादियों और इस क्षेत्र में खुद को स्थापित करने वाले आतंकवादियों के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर की गई कार्रवाई का हिस्सा है। पिछले एक महीने में एनआईए का यह तीसरा बड़ा ऑपरेशन है।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि एनआईए ने इस साल की शुरुआत में जमात कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ पाकिस्तान के इशारे पर आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप में मामला दर्ज किया था। पुलवामा आतंकी हमले के बाद 2019 में केंद्र सरकार द्वारा जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ़ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
रिपोर्ट है कि जमात-ए-इस्लामी कार्यकर्ताओं के आवासीय परिसरों की तलाशी शनिवार तड़के शुरू हुई और रविवार को भी जारी रही। जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की सहायता से जम्मू संभाग के डोडा, किश्तवाड़, रामबन और राजौरी ज़िलों के अलावा अनंतनाग और शोपियाँ ज़िलों सहित कश्मीर के कई स्थानों पर छापेमारी की जा रही है।
पिछले महीने, गृह मंत्रालय की समीक्षा में जमात-ए-इस्लामी के बढ़ते प्रभाव के बारे में चर्चा हुई थी। गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा बलों से युवाओं के कट्टरपंथ को रोकने के लिए कार्रवाई करने को कहा था।
पिछले महीने ही, एनआईए ने आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्थानीय युवाओं को कथित रूप से कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने की इस्लामिक स्टेट की साज़िश के सिलसिले में कश्मीर घाटी में विभिन्न स्थानों पर कई छापेमारी की थी।
तब लगभग आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में एक दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा कथित आतंकी लिंक के लिए हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों सहित 11 कर्मचारियों को बर्खास्त करने के बाद छापे मारे गए।
बता दें कि दिल्ली की एक अदालत ने कथित हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के ख़िलाफ़ आरोप तय करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों की साज़िश रचने के लिए पाकिस्तान से धन लेने के मामले में और सबूत जुटाए जा रहे हैं।
अदालत ने आपराधिक साज़िश, देश के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने और यूएपीए के प्रावधानों के तहत विभिन्न आरोपों के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था।
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