जम्मू कश्मीर में एक आतंकवादी के कथित तौर पर बीजेपी आईटी सेल के पूर्व प्रमुख होने की ख़बर के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी पर सांप्रदायिक विभाजन और नफ़रत को बढ़ावा देने वाली पार्टी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी आपराधिक तत्वों का इस्तेमाल अपने सांप्रदायिक विभाजन के एजेंडे को बरकरार रखने और उसे आगे बढ़ाने के लिए कर रही है।
महबूबा ने बीजेपी पर यह हमला तब किया है जब जम्मू-कश्मीर में रविवार को पकड़े गए लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकवादियों में से एक तालिब हुसैन का संबंध कथित तौर पर बीजेपी के साथ था और वह जम्मू कश्मीर में बीजेपी आईटी सेल का प्रमुख रहा था।
अभी कुछ दिन पहले ही राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या में शामिल आरोपियों के भी बीजेपी से जुड़े होने के आरोप लगे हैं। हत्या के मुख्य आरोपी रियाज अटारी और मोहम्मद गौस ने हत्या को अंजाम देने से बहुत पहले बीजेपी नेताओं से संपर्क बना लिया था। उनके फोटो बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ भी पाए गए हैं। हालाँकि बीजेपी ने उनसे कोई संबंध होने की रिपोर्टों को खारिज किया है।
इन दोनों मामलों को लेकर ही जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और कभी बीजेपी की सहयोगी रहीं महबूबा मुफ़्ती ने बीजेपी पर हमला किया।
महबूबा ने ट्वीट किया, 'पहले उदयपुर का क़ातिल और अब राजौरी में पकड़ा गया लश्कर-ए-तैयबा का एक आतंकवादी, दोनों के बीजेपी से सक्रिय संबंध हैं। सत्ताधारी पार्टी सांप्रदायिक विभाजन और नफरत के अपने एजेंडे को कायम रखने के लिए आपराधिक तत्वों का इस्तेमाल कर रही है, चाहे वह गौरक्षक हों या आतंकवादी।'
Imagine if any of these culprits were associated with any opposition leader. By now multiple FIRs would be lodged & godi media would lap it up by devoting endless prime time space to discredit the opposition.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) July 4, 2022
बता दें कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी की गिरफ़्तारी पर जम्मू कश्मीर में पार्टी प्रवक्ता आरएस पठानिया ने कल कहा था कि इस गिरफ्तारी से एक नया मुद्दा सामने आया है। उन्होंने कहा था, 'मैं कहूंगा कि यह एक नया मॉडल है - बीजेपी में प्रवेश करना, पहुंच हासिल करना, रेकी करना... शीर्ष नेतृत्व को मारने की साज़िश भी थी जिसका पुलिस ने भंडाफोड़ किया।' उन्होंने कहा था, 'सीमा पार ऐसे लोग हैं जो आतंक फैलाना चाहते हैं। अब कोई भी ऑनलाइन बीजेपी का सदस्य बन सकता है। मैं कहूंगा कि यह एक खामी है क्योंकि आपराधिक रिकॉर्ड या उन लोगों के बैकग्राउंड की जाँच करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है जो ऑनलाइन सदस्यता ले रहे हैं।'
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