कश्मीर घाटी से 1990 के शुरुआती महीनों से ही जो कश्मीरी हिंदुओं यानी कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हुआ वह वर्षों तक जारी रहा। उस घटना के 32 साल बाद एक ही सवाल बार-बार गूंजता है कि इतने वर्षों के सरकारी आश्वासनों और चुनावी मुद्दे होने के बाद क्या वे वापस घाटी में फिर से बस पाए हैं? और यदि ऐसा हुआ है तो विस्थापित कश्मीरी पंडित अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन क्यों करते रहते हैं?
कश्मीरी पंडित 32 साल बाद भी घाटी में क्यों नहीं लौट पाए?
- जम्मू-कश्मीर
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- 22 Mar, 2022
कश्मीरी पंडितों के पलायन के 32 साल बाद भी उनकी दुर्दशा बनी हुई है। इस मुद्दे को हिंदुत्व से जोड़कर क़रीब-क़रीब हर चुनाव में उठाया जाता रहा है। लेकिन क्या उनकी स्थिति बदली? क्या वे कश्मीर घाटी में वापस लौट पाए?

यह सवाल एक बार फिर से इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म विवादों में घिर गई है। जहाँ दक्षिणपंथी इस फिल्म को कश्मीरी पंडितों की पीड़ा व्यक्त करने वाला बता रहे हैं वहीं आलोचक कह रहे हैं कि इस फिल्म में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। आलोचक यह भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इस फ़िल्म में यह क्यों नहीं बताया गया है कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों की क्या स्थिति है।