कश्मीर घाटी से 1990 के शुरुआती महीनों से ही जो कश्मीरी हिंदुओं यानी कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हुआ वह वर्षों तक जारी रहा। उस घटना के 32 साल बाद एक ही सवाल बार-बार गूंजता है कि इतने वर्षों के सरकारी आश्वासनों और चुनावी मुद्दे होने के बाद क्या वे वापस घाटी में फिर से बस पाए हैं? और यदि ऐसा हुआ है तो विस्थापित कश्मीरी पंडित अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन क्यों करते रहते हैं?