समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अखिलेश यादव साल 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ संसदीय सीट से चुने गए थे जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने करहल की सीट से जीत हासिल की थी। करहल सीट पर उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री एस पी सिंह बघेल को 60 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से मात दी थी।
बीते कुछ दिनों से यह सवाल उठ रहा था कि अखिलेश यादव लोकसभा में रहेंगे या फिर उत्तर प्रदेश की विधानसभा में।
अखिलेश यादव मंगलवार को लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला के पास पहुंचे और उन्हें संसद से इस्तीफे का पत्र सौंपा। अखिलेश ने 2019 में आजमगढ़ में बीजेपी के प्रत्याशी और जाने-माने भोजपुरी गायक दिनेश लाल यादव निरहुआ को 3.50 लाख वोटों के अंतर से हराया था। 2014 में इस सीट पर उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की थी।
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2024 का चुनाव है चुनौती
अखिलेश के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव एक बड़ी चुनौती है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजों से साफ हो गया है कि राज्य में चुनावी लड़ाई बीजेपी और सपा के बीच ही है। मुलायम सिंह यादव के बुजुर्ग होने के बाद सपा को चुनावी लड़ाई में बनाए रखने का दारोमदार अखिलेश के कंधों पर ही है। ऐसे में अखिलेश के राजनीतिक कौशल की परीक्षा भी उत्तर प्रदेश की विधानसभा में होगी। उन्हें सहयोगी दलों को साथ बनाए रखते हुए योगी सरकार को घेरना होगा और जनहित के मुद्दों पर सड़क पर उतरना होगा।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सहयोगी दलों निषाद पार्टी और अपना दल (सोनेलाल) के साथ मिलकर 273 सीटों पर जीत मिली है। इसमें बीजेपी को अकेले दम पर 255 सीटों पर जीत मिली है जबकि समाजवादी पार्टी को विधानसभा चुनाव में 111 सीटों पर जीत मिली।
उधर, 25 मार्च को होने वाले योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह के लिए मंत्रिमंडल के गठन का काम भी जोर-शोर से चल रहा है। कहा जा रहा है कि सुभासपा के मुखिया ओम प्रकाश राजभर भी एनडीए में आ सकते हैं।
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