पुलिस की पूछताछ या सेना की पूछताछ कैसी होनी चाहिए? क्या इस तरह कि नंगा किया जाए, पीटा जाए, घावों पर मिर्च का पाउडर डाला जाए और बेहोश होने तक प्रताड़ित किया जाए? प्रताड़ना इतनी कि मौत तक हो जाए! जम्मू कश्मीर के पूंछ में पूछताछ के लिए उठाए गए एक शख्स ने उन घटनाक्रमों को बताया है। पुंछ जिले में तीन नागरिकों की मौत के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में सेना के दो वाहनों पर पिछले दिनों हुए आतंकवादी हमले के संबंध में पूछताछ के लिए सुरक्षा बलों द्वारा शुक्रवार सुबह उठाए गए आठ नागरिकों में से तीन मृत पाए गए थे। रात में टोपा पीर इलाक़े में तीनों के शव पाए गए। गुरुवार शाम को घात लगाकर किए गए आतंकवादी हमले में चार सैनिक शहीद हो गए थे।
आतंकवादी हमले से जुड़े मामले में पूछताछ के लिए आठ लोगों को हिरासत में लिया गया था। इनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। शनिवार को परिजनों ने आरोप लगाया था कि सेना ने स्थानीय लोगों को पूछताछ के लिए उठाया था और मुठभेड़ स्थल के पास उनमें से तीन लोगों के शव पाए गए थे। तीनों के शरीर पर गंभीर प्रताड़ना के निशान पाए गए। बाक़ी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुंछ में सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर उठाए गए लोगों में से एक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें और अन्य बंदियों को कपड़े उतारकर पीटा गया और घावों पर मिर्च पाउडर डाला गया जब तक कि वे बेहोश नहीं हो गए। अस्पताल में भर्ती मोहम्मद अशरफ ने दावा किया कि उन्हें और चार अन्य लोगों को पिछले हफ्ते सुरक्षा बलों ने उठा लिया था। उन्होंने अंग्रेज़ी अख़बार से कहा, 'उन्होंने हमारे कपड़े उतार दिए और हमें लाठियों और लोहे की छड़ों से पीटा, और हमारे घावों पर मिर्च पाउडर छिड़क दिया'।
राजौरी जिले के थानामंडी क्षेत्र के हसबलोटे गाँव के अशरफ ने 2007 से जम्मू-कश्मीर के बिजली विकास विभाग में लाइनमैन के रूप में काम किया है और उन्हें प्रति माह 9,330 रुपये का वेतन मिलता है। इससे वह अपने तीन बच्चों - 18 साल की बेटी और 15 और 10 साल के दो बेटों का भरण-पोषण करते हैं। उनकी पत्नी की इस साल 23 मार्च को मृत्यु हो गई।
अशरफ ने कहा कि उनमें से कोई भी ठीक से खड़ा या बैठ नहीं सकता। उन्होंने कहा, 'जब हमें जाँच के लिए या शौचालय जाना होता है तो वे हमें व्हीलचेयर या स्ट्रेचर पर ले जाते हैं।' उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सुरक्षा बलों ने उन्हें शुक्रवार सुबह करीब 9.30 बजे उनके घर से उठाया था। उन्होंने कहा, 'वे मुझे डीकेजी (देहरा की गली) के पास मन्याल गली में ले गए जहां उनके सहयोगी पहले से ही टाटा सूमो में फारूक अहमद के साथ बैठे थे। कुछ समय बाद मोहम्मद बेताब और उनके भाई को भी लाया गया और वे सभी हमें डीकेजी में अपने शिविर में ले गए।'
राजौरी अस्पताल के एक ही कमरे में भर्ती 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले 15 वर्षीय किशोर ने दावा किया कि पूछताछ के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने उससे पूछा कि क्या उसने आतंकवादियों को भोजन कराया था। उन्होंने आतंकवादी हमले से आठ दिन पहले उनके घर पर आयोजित एक दावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा, 'मैंने उन्हें बताया कि दावत मेरे भाई बेताब की शादी के लिए आयोजित की गई थी।' उन्होंने आरोप लगाया कि इन सवालों के बाद बाकी लोगों के साथ उसे भी पीटा गया।
एक मजदूर बेताब ने कहा कि आतंकवादी हमले के कुछ ही घंटों बाद गुरुवार शाम को पुलिस दल ने उन्हें उनके भाई और चाचा फजल हुसैन के साथ थानामंडी स्थित उनके घर से उठा लिया था। उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन्हें तीन घंटे बाद घर लौटने की इजाजत दे दी और अगले दिन थानामंडी पुलिस थाने में रिपोर्ट करने को कहा। अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार सेना पीआरओ ने राजौरी अस्पताल में भर्ती पांचों लोगों के बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया है।
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