जम्मू में मंगलवार रात को एक बार फिर ड्रोन दिखाई दिया। यह ड्रोन अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास अरनिया सेक्टर में दिखा। मौक़े पर तैनात बीएसएफ़ के जवानों ने ड्रोन पर फ़ायरिंग की जिसके बाद वह ग़ायब हो गया और पाकिस्तान की सीमा में वापस चला गया। अभी यह साफ नहीं हो सका है कि ड्रोन को क्यों भारत की सीमा में भेजा गया।
बीएसएफ़ ने एक बयान जारी कर रहा है कि 13-14 जुलाई की रात को 9.52 पर लाल रंग की लाइट जलती दिखी और जवानों ने इस पर फ़ायरिंग की। इलाक़े की तलाशी भी ली गई लेकिन कुछ नहीं मिला। पिछले महीने 27 जून को जम्मू एयर बेस पर ड्रोन हमला हुआ था और भारत ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र के सामने रखा था।
जम्मू एयर बेस पर दो धमाके हुए थे और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इन्हें 'आतंकवादी हमला' क़रार दिया था। इसके बाद लगातार जम्मू के कई इलाक़ों में ड्रोन दिखाई दिए थे।
पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठनों ने कई बार जम्मू और कश्मीर में हथियार और गोला बारूद गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया है। सीमा के पास बेहद संवेदनशील इलाक़े में जवानों को अलर्ट पर रखा गया है।
जम्मू एयर बेस पर जिस तरह का ड्रोन हमला हुआ है, उसे देखते हुए सुरक्षा के कई पहलुओं पर काम करने की ज़रूरत महसूस की जा रही है। जम्मू एयर बेस पर हुए दो धमाकों के अलावा कालूचक मिलिट्री कैंप पर भी दो ड्रोन दिखाई दिए थे। इसके बाद एक बार फिर जम्मू के तीन इलाक़ों में ड्रोन देखे गए थे। लगातार चौथे दिन जम्मू में सेना के कैंप के पास ड्रोन देखे गए थे।
भारतीय उच्चायोग में दिखा था ड्रोन
इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान की राजधानी इसलामाबाद में स्थित भारतीय उच्चायोग की इमारत के परिसर में भी ड्रोन देखा गया था। इसे सुरक्षा में बड़ी चूक माना गया था और भारत ने इस मसले को पाकिस्तान में अपने समकक्ष अफ़सरों के सामने उठाया था।
जम्मू एयर बेस पर हुए ड्रोन हमले के मामले में यह बात सामने आई थी कि जो दो आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस) गिराए गए थे, उनमें विस्फोटक पदार्थ आरडीएक्स और नाइट्रेट भी था। फ़ॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (एफ़एसएल) की रिपोर्ट से यह बात पता चली थी।
एफ़एसएल की रिपोर्ट यह भी कहती है कि भारत में आरडीएक्स उपलब्ध नहीं है और इन आईईडी में जो आरडीएक्स इस्तेमाल हुआ है, वह पाकिस्तान से लाया गया है। इस नई जानकारी से ड्रोन हमले में क्या पाकिस्तान की भूमिका थी, इस बात का पता चल सकेगा।
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