जम्मू कश्मीर में होने जा रहे चुनाव में क्या बीजेपी के ख़िलाफ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस एक साथ गठबंधन बना पाएँगी? कम से कम कांग्रेस तो यही चाहती है। कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस पर व्यापक गठबंधन के लिए दबाव बना रही है। उसका कहना है कि इसका उद्देश्य भाजपा को हराना है, जिसके लिए सभी समान विचारधारा वाली ताक़तों को एक साथ आना चाहिए।
कांग्रेस महासचिव गुलाम अहमद मीर ने कहा है कि फारूक अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ़्ती की पीडीपी को अपने पहले के रुख पर कायम रहना चाहिए कि राज्य का मुद्दा व्यक्तिगत मुद्दों से ऊपर है। उन्होंने लोकसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन को एकजुट रखने में उनकी विफलता पर भी निशाना साधा। उन्होंने चेताया कि लोग उनकी चालों पर नज़र रखेंगे।
उनका यह बयान तब आया है जब जम्मू कश्मीर में चुनावी हलचल तेज हो गई है। दो दिन पहले ही शुक्रवार को चुनाव आयोग ने हरियाणा के साथ ही जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा की है। जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में ये 18, सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को मतदान होंगे। चार अक्टूबर को मतगणना होगी।
कांग्रेस महासचिव मीर ने कहा कि हालांकि इंडिया गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर बना है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में साथ मिलकर लड़ने की अधिक ज़रूरत है, और गठबंधन को विधानसभा चुनाव तक बढ़ाया जाना चाहिए। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'एनसी और पीडीपी एक साथ आए थे और गुपकार घोषणा के लिए पीपुल्स अलायंस के रूप में साथ चल रहे थे। ऐसे दावे थे कि उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों ने लोगों के मुद्दे के लिए हाथ मिलाया था। लेकिन जब लोकसभा चुनावों के दौरान लोगों के मुद्दे की बात आई, तो वे अलग हो गए। कांग्रेस का दृढ़ विश्वास है कि तीनों दलों को एक साथ मिलकर लड़ना चाहिए।'
कांग्रेस का कुछ वर्ग भाजपा द्वारा निर्दलीय और छोटे दलों को एक रणनीतिक समझौते में शामिल करने के प्रयासों से चिंतित है। उसका मानना है कि अगर पीडीपी और एनसी अलग-अलग लड़ते हैं, तो इससे विपक्ष को नुकसान हो सकता है।
राज्य के दर्जे का मुद्दा उठा
जम्मू कश्मीर में विधानसभा के चुनाव की घोषणाओं के बाद ही विपक्षी दलों ने राज्य के दर्जे का मुद्दा उठाया है। एनसी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'हम लोग चाहते हैं कि स्टेटहुड आए, न सिर्फ नेशनल कॉन्फ़्रेंस बल्कि जम्मू कश्मीर की सभी पार्टियां चाहती हैं कि ये होना चाहिए।'
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर को अभी भी पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने का इंतज़ार है। केंद्र सरकार के हालिया कदम ने उपराज्यपाल की शक्तियों को और बढ़ाया है और विधिवत निर्वाचित राज्य सरकार की शक्तियों का मज़ाक उड़ाया जा रहा है।'
बता दें कि जम्मू कश्मीर में दस साल बाद विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं, लेकिन राजनीतिक हालात बदल चुके हैं। पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को रद्द करते हुए जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा हटा दिया गया और दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। तभी से घाटी के प्रमुख दल राज्य के दर्जे की बहाली की मांग कर रहे हैं।
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