लद्दाख-करगिल में हुए चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बाजी मार ली। 26 निर्वाचित सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बड़ी जीत दर्ज की है। बीजेपी सिर्फ़ दो सीटें जात पाई जबकि आईएनडीपी ने एक सीट जीती और देर शाम तक 1 सीट पर वोटों की गिनती जारी थी। कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन की यह जीत बीजेपी के लिए बड़ा झटका से कम नहीं है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'जेकेएनसी 12 पार्षदों के साथ एलएएचडीसी करगिल चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। कांग्रेस के साथ हमारे पास 26 में से 21 या 22 पार्षद होंगे (1 सीट की गिनती अभी भी चल रही है)। यह भाजपा और उसकी विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ एक शानदार जनादेश है। यह 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के साथ जो किया, उसकी भी जोरदार अस्वीकृति है।'
.@jknc ends the day as the single largest party in the LAHDC Kargil polls with 12 councillors. Together with the Congress with whom we shared seats, we will have 21 or 22 councillors (1 seat is still being counted) out of 26. This is a resounding verdict against the BJP & its…
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 8, 2023
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'भाजपा को आज करगिल में एनसी-कांग्रेस गठबंधन के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी के साथ हमारे मजबूत गठबंधन के जश्न में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस को एलएएचडीसी करगिल चुनावों में अपनी जीत की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। यह परिणाम उन सभी ताकतों और पार्टियों को एक संदेश है जिन्होंने अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से जम्मू, कश्मीर और लद्दाख राज्य को वहां के लोगों की सहमति के बिना विभाजित किया है।'
उन्होंने आगे कहा, 'इन चुनाव परिणामों को भारतीय जनता पार्टी के लिए एक चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए। अब समय आ गया है कि राजभवन और अनिर्वाचित प्रतिनिधियों के पीछे छुपना बंद किया जाए और इसके बजाय, जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के लिए लोगों की उचित इच्छा को स्वीकार किया जाए। लोकतंत्र की मांग है कि लोगों की आवाज सुनी जाए और उनका सम्मान किया जाए।'
30 सदस्यीय एलएएचडीसी में चार सदस्यों को प्रशासन द्वारा नामित किया गया जबकि 26 सीटों के लिए चुनाव 4 अक्टूबर को हुए थे। इसमें 77.61 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया और 95,388 मतदाताओं में से 74,026 ने अपने अधिकार का प्रयोग किया।
एनसी के फ़िरोज़ अहमद खान की अध्यक्षता वाली मौजूदा परिषद ने 1 अक्टूबर को अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद करगिल में पहला प्रमुख मतदान है। 26 सीटों में से अधिकांश पर एनसी, कांग्रेस और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा गया। नई परिषद 11 अक्टूबर से पहले गठित होने वाली है।
एनसी उम्मीदवार अब्दुल वाहिद ने द्रास में भीमबट निर्वाचन क्षेत्र को कांग्रेस से छीन लिया, एनसी के मौजूदा सदस्य पुंचोक ताशी ने पडुआ में अपनी सीट बरकरार रखी। हालाँकि, चिकतन क्षेत्र में जहाँ भाजपा का कुछ प्रभाव है, पार्टी के उम्मीदवार पद्मा दोरजे ने स्टैकचाय खंगराल निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल की, और इसे मौजूदा कांग्रेस से छीन लिया।
द्रास के रणबीरपोरा में कांग्रेस ने एनसी के मुबारक शाह को सिर्फ 500 से अधिक वोटों से हराया, जबकि चोस्कोर में कांग्रेस ने भाजपा और एनसी दोनों उम्मीदवारों को हराकर अपनी सीट बरकरार रखी।
चिकतन में कांग्रेस उम्मीदवार लियाकत अली खान ने भाजपा के मोहसिन अली को हराया, जो अपने कार्यकाल के बीच में पीडीपी से भाजपा में शामिल हो गए थे। इस बीच, बारसू सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार गुलाम मोहम्मद ने जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों उम्मीदवारों को हराया। मध्य करगिल के बारू में खादिम हुसैन ने कांग्रेस के लिए सीट जीती।
चुनाव करगिल क्षेत्र में विकास के मुद्दे पर लड़ा गया, भाजपा को 30 सदस्यीय परिषद से बाहर रखना अन्य सभी दलों का मुख्य उद्देश्य रहा। करगिल में पिछली परिषद में भाजपा के तीन सदस्य थे। इस बार पार्टी ने 17 उम्मीदवार उतारे।
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