जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद होने वाले पाँच जवानों में से एक कर्नल आशुतोष शर्मा अपनी जान की परवाह किए बिना बंधक बनाए गए नागरिकों को छुड़ाने के लिए आतंकवादियों की माँद में घुस गए थे। वह आख़िरी समय तक आतंकवादियों के ख़िलाफ़ बहादुरी से लड़ते रहे।
शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा आख़िरी समय तक बहादुरी से लड़े
- जम्मू-कश्मीर
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- 3 May, 2020
जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद होने वाले पाँच जवानों में से एक कर्नल आशुतोष शर्मा कौन थे जो अपनी जान की परवाह किए बिना नागरिकों को बचाने के लिए आतंकवादियों की माँद में घुस गए थे?

कर्नल आशुतोष शर्मा सेना के 21 राष्ट्रीय राइफ़ल्स यूनिट के कमांडिंग अफ़सर थे। आतंकवाद के ख़िलाफ़ मिशन में अनुकरणी बहादुरी के लिए उन्हें दो बार शौर्य पुरस्कार मिला। इनमें से एक बार तो यह सम्मान कमांडिंग अफ़सर रहने के दौरान बहादुरी दिखाने के लिए मिला था। कर्नल शर्मा ने तब एक आतंकवादी से कई सुरक्षा कर्मियों की जानें बचाई थीं। आतंकवादी कपड़ों में ग्रेनेड छुपाकर जवानों के क़रीब जा रहा था। तब उस आतंकवादी को जवानों के बीच पहुँचने से पहले ही मार गिराया था। इससे सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के कई जवानों की जानें बच गई थीं क्योंकि एक बार यदि वह आतंकवादी जवानों के बीच पहुँचकर ग्रेनेड को फोड़ देता तो बड़ा नुक़सान हो सकता था।