शोपियाँ में 2020 के फर्जी मुठभेड़ मामले में एक कैप्टन पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है। एक मीडिया रिपोर्ट में सेना के सूत्रों के हवाले से सोमवार को कहा गया है कि सेना की एक अदालत ने शोपियाँ ज़िले के अमशीपोरा में 2020 में फर्जी मुठभेड़ में तीन लोगों की हत्या में शामिल एक कैप्टन को आजीवन कारावास की सिफारिश की है। सेना के उच्च अधिकारियों द्वारा पुष्टि किए जाने के बाद ही सजा को अंतिम रूप दिया जाएगा।
विवादास्पद मुठभेड़ 18 जुलाई 2020 को हुई थी। परिवार वालों ने मारे गए तीनों लोगों की पहचान 17 वर्षीय इबरार, 25 वर्षीय इम्तियाज़ और 20 वर्षीय अबरार अहमद के रूप में की थी। परिजनों का कहना था कि तीनों युवक चचेरे भाई थे और राजौरी क्षेत्र के रहने वाले थे। उनका कहना था कि तीनों मज़दूरी करते थे और वे पुंच के राजौरी क्षेत्र के धार सकरी गाँव से शोपियाँ क्षेत्र में गये थे।
मुठभेड़ से एक दिन पहले यानी 17 जुलाई को ही उनके ग़ायब होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। चूँकि 18 जुलाई की वह कथित मुठभेड़ शोपियाँ क्षेत्र में हुई थी इसलिए उस क्षेत्र के लोग तीनों युवकों को पहचान नहीं सके थे। तब सैनिकों की ओर से कहा गया था कि वे अज्ञात आतंकवादी थे। लेकिन बाद में जैसे ही तीनों की तसवीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई उनके परिजनों ने तीनों की पहचान की। इस मामले में शोर मचने पर पुलिस और सेना दोनों ने जाँच शुरू की थी।
इस मामले में सितंबर 2020 में सेना की कोर्ट ऑफ़ इन्क्वायरी ने पुष्टि की थी कि अमशीपोरा गांव में हुई गोलीबारी में मारे गए तीन लोग वास्तव में राजौरी के मज़दूर थे। सेना ने इस गोलीबारी में शामिल रहे जवानों को शक्तियों का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था। तीनों के मारे जाने के डेढ़ साल बाद सेना ने अपने एक अधिकारी के ख़िलाफ़ कोर्ट-मार्शल शुरू किया था।
रिपोर्ट के अनुसार कैप्टन भूपेंद्र सिंह उर्फ मेजर बशीर खान को कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के बाद कोर्ट-मार्शल कर दिया गया था और सबूत पाये गये कि उनकी कमान के तहत सैनिकों ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया था।
Recommended punishment of life imprisonment for Captain involved in Amshipora fake encounter is a welcome step towards creating accountability in such cases.Hope an impartial probe is also ordered in Lawapora & Hyderpora encounters to prevent repetition of such ghastly incidents https://t.co/z9wfrQXFyV
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) March 6, 2023
उन्होंने ट्वीट किया, 'उम्मीद है कि इस तरह की जघन्य घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए लवापोरा और हैदरपोरा मुठभेड़ों की निष्पक्ष जांच के भी आदेश दिए जाएँगे।'
अंग्रेजी अख़बार ने आधिकारिक आँकड़ों के हवाले से कहा है कि सरकार को 2017 और जुलाई 2022 के बीच सेना और भारतीय वायु सेना द्वारा कथित रूप से किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में 116 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 108 सेना के ख़िलाफ़ थीं। 2020 में सेना ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों से निपटने के लिए अपने मुख्यालय में एक मानवाधिकार सेल की स्थापना की थी।
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