एक राहत वाली खबर आई है। लैब में जानवरों और मानव कोशिकाओं पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि ओमिक्रॉन कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले कम खतरनाक है। सबसे बड़ी बात यह है कि सांस लेने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती है।
लैब रिपोर्टः ओमिक्रॉन से फेफड़ों पर मामूली असर, सांस लेने में भी तकलीफ नहीं
- स्वास्थ्य
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- 1 Jan, 2022
भारत में तेजी से फैल रहे कोरोना की खबरों के बीच राहत की खबर यह आई है कि ओमिक्रॉन का खतरा उतना बड़ा नहीं है, जितना समझा जा रहा था। कई देशों में की गई रिसर्च के बाद यह स्टडी सामने आई है। सबसे खास बात यह है कि इस नए वायरस से फेफड़ों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता और सांस लेने में ज्यादा तकलीफ नहीं होती। बाकी जानकारी इस रिपोर्ट में।

चूहों पर किए गए परीक्षण से पता चला है कि ओमिक्रॉन सिर्फ नाक, गले और सांस की नली पर असर डालता है। यह फेफड़ों पर प्रभाव नहीं डालता है। जिससे सांस लेने में मरीज को तकलीफ महसूस नहीं होती।